30 जून को जब भारी विरोध के बावजूद चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने हॉन्ग कॉन्ग के विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को मंजूरी दी थी, तभी तय हो गया था कि उसे दुनियाभर के देशों का विरोध झेलना पड़ेगा। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने इस कानून को लेकर न केवल चीन को खुलेआम कोसा बल्कि यहां के नागरिकों के लिए कई विशेष घोषणाएं भी कर डालीं।
इस कानून ने हॉन्ग कॉन्ग की जीवनशैली को ही बदल दिया है। जो कल तक इस अर्ध स्वायत्त क्षेत्र में वैधानिक और मानवाधिकार की श्रेणी में आता था आज वह गैरकानूनी हो गया है। अब हॉन्ग कॉन्ग में चीन विरोधी झंडा लहराने, पोस्टर दिखाने, नारेबाजी करने या विरोधी रैलियों में शामिल होने पर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। यह कानून इतना खतरनाक है कि चीन ने आज तक इस कानून को लेकर जानकारियां सार्वजनिक ही नहीं की है। जानिए कैसे बदल रहा हॉन्ग कॉन्ग…
हॉन्ग कॉन्ग में अब किसी भी प्रकार की नारेबाजी करना या विरोध प्रदर्शन करना अवैध हो गया है। 1 जुलाई को हॉन्ग कॉन्ग में सत्ता हस्तांतरण के विरोध में प्रदर्शन कर रहे 160 लोगों को इस कानून के तहत गिरफ्तार किया गया। जिनका ट्रायल अभी कोर्ट में चल रहा है। यह गिरफ्तारी कानून लागू होने के 24 घंटों के अंदर की गई। नए नियम तिब्बत, ताइवान और पूर्वी तुर्केस्तान की स्वतंत्रता की वकालत करने वाले झंडे पर भी प्रतिबंध है।
हॉन्ग कॉन्ग में नए सुरक्षा कानून के तहत पीले रंग के बैनर और रिबन लगाना भी गैरकानूनी है। हॉन्ग कॉन्ग की स्वतंत्रता का समर्थन करने वाले लोग या दुकानदार अपने घरों और दुकानों के सामने पीले रंग का रिबन लगाकर लोकतांत्रिक प्रदर्शनकारियों का समर्थन करते हैं। अब स्थानीय सरकार वहां लोगों की दुकानों और घरों से पीले रंग के बैनर और रिबन को हटा रही है।
नए कानून के तहत स्कूलों में सभी प्रकार की राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिसमें क्लास का बहिष्कार करना, ग्लोरी टू हॉन्ग कॉन्ग… गाना गाने और स्कूल के बाहर ह्यूमन चेन बनाना शामिल हैं। बता दें की पिछले साल हुए विरोध प्रदर्शनों में स्कूलों के हजारों छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया था। जिससे डरकर चीन की सरकार ने यह प्रतिबंध लगाया है।
चीन ने नए कानून के तहत हॉन्ग कॉन्ग के स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले किताबों की समीक्षा भी शुरू कर दी है। इनमें से चीन विरोधी या कम्युनिस्ट विचारधारा का विरोध करने वाले सभी पाठ्यक्रमों को हटा दिया जाएगा। चीन ने कहा कि शिक्षा ब्यूरो पाठ्य पुस्तकों की समीक्षा भी कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पाठ्यपुस्तकें छात्रों को भटका न दें। ब्यूरो ने कहा कि पुस्तकें और सामग्री उचित और उच्च गुणवत्ता वाली होनी चाहिए।
हॉन्ग कॉन्ग में सार्वजनिक लाइब्रेरी में मिलने वाली सभी राजनीतिक पुस्तकों को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। जिसमें प्रसिद्ध कार्यकर्ता जोशुआ वोंग और लोकतंत्र समर्थक राजनीतिज्ञ तान्या चान की किताबें शामिल हैं। अवकाश और सांस्कृतिक सेवा विभाग, जो हांगकांग पब्लिक लाइब्रेरी की देखरेख करता है, ने बताया कि वे समीक्षा कर रहे हैं कि क्या कुछ किताबें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की शर्तों का उल्लंघन करती हैं।
कानून के पारित होने के पहले और बाद में चीन ने हांगकांग के कई नागरिकों ने ट्विटर और फेसबुक अकाउंट्स को सेंसर किया है। चीन विरोधी पोस्ट करने पर न केवल यूजर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है। बल्कि उसे कई तरह से टार्चर भी किया जा रहा है। जिसके बाद कई सोशल साइट्स ने चीन के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया है। जिसमें फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सऐप शामिल हैं।