फिर वक्त ने करवट ली और गांगुली टीम की कप्तानी भी छिनी और वह टीम से भी बाहर हो गए। लेकिन चैंपियन दादा ने चैंपियन वाले अंदाज में एक बार फिर वापसी की और फिर वह 2008 तक लगातार क्रिकेट खेले। मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष और पूर्व भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली हाल ही में टीम इंडिया के टेस्ट ओपनिंग बल्लेबाज मयंक अग्रवाल से बीसीसीआई टीवी के खास कार्यक्रम ‘ओपन नेट्स विद मयंक’ पर रू-ब-रू हुए। इस मौके पर गांगुली ने धोनी के हैरानी भरे फैसले और अपने विदाई टेस्ट मैच को याद किया।
गांगुली ने अपने करियर का आखिरी टेस्ट मैच नागपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था। इस टेस्ट मैच में टीम इंडिया की कमान संभाल रहे थे। इस सीरीज के लिए अनिल कुंबले कप्तान थे। लेकिन नागपुर टेस्ट से पहले दिल्ली टेस्ट में उनका हाथ चोटिल हो गया और कुंबले इस उसी टेस्ट से संन्यास ले लिया।
करियर के आखिरी लम्हों में गांगुली भी धोनी के फैसले को देखकर हैरान रह गए। उन्होंने मैच के अंतिम क्षणों में गांगुली को ही टीम की कप्तानी करने को कहा। धोनी चाहते थे कि सब गांगुली को एक कप्तान के तौर पर पहचानते हैं और उन्हें उसी अंदाज में टीम की कप्तानी करते हुए क्रिकेट को अलविदा कहना चाहिए।
धोनी के इस फैसले को याद करते हुए गांगुली ने कहा, ‘मेरा आखिरी टेस्ट नागपुर में था। यह अंतिम दिन का अंतिम सत्र था। मैं विदर्भ स्टेडियम से मैदान की ओर नीचे उतर रहा था। वे (टीम के खिलाड़ी) सभी मेरे आसपास खड़े थे और मैं मैदान में आ रहा था।’
मैच में कुछ ही ओवर बाकी थे कि धोनी ने कप्तानी की मशाल गांगुली को देने का निर्णय किया। गांगुली ने कहा, ‘यह मेरे लिए हैरानी भरा था। मैंने ऐसी उम्मीद नहीं की थी। लेकिन एमएस धोनी एमएस धोनी ही हैं। वह हमेशा अपनी कप्तानी की ही तरह हैरानियों भरे हैं। हम टेस्ट मैच जीतने वाले थे और मेरे दिमाग में रिटायरमेंट चल रही था। मैं नहीं जानता कि उन तीन-चार ओवर में मैंने क्या किया।’