पाक के भरोसे नहीं US, चीन से 'जंग' को तैयार

वॉशिंगटन
कभी दक्षिण एशिया में अमेरिका का सबसे खास रहा पाकिस्तान अब अपना भरोसा खत्म कर चुका है। चीन की गोद में खेल रहे पाकिस्तान को छोड़कर अब अमेरिका ड्रैगन के खिलाफ लंबी जंग की तैयारी कर रहा है। हाल में ही पाकिस्तान ने हर मोर्चे पर चीन का साथ देने का खुलेआम वादा किया है। पाक ने न केवल वन चाइना पॉलिसी का समर्थन किया है बल्कि ताइवान और हॉन्ग कॉन्ग के मुद्दे पर भी चीन के साथ हरदम खड़े रहने की बात कही है।

पाकिस्तान की अहमियत खत्म
यूरोपीय फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज के अनुसार, चीन का खास दोस्त पाकिस्तान अब अमेरिका के लिए वैसी अहमियत नहीं रखता जैसी वह अफगानिस्तान वॉर के समय रखता था। अमेरिका एशिया में रूस की बढ़त रोकने और सामरिक रूप से खुद को मजबूत बनाने के लिए पाकिस्तान की मदद लेता रहा है। लेकिन, हाल के दिनों में चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद समीकरण बदल गए हैं।

आर्थिक सहायता पर लगाई रोक
अमेरिका ने पाकिस्तान को न केवल अलग-थलग कर दिया है बल्कि, कई आर्थिक सहायता पर भी रोक लगा दी है। ओबामा से लेकर ट्रंप तक के शासन काल में पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को खत्म कर दिया गया। इतना ही नहीं, हाल के दिनों में अमेरिका ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता देने से भी इनकार किया है।

पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी कदम स्थायी नहीं
अमेरिका की एक शीर्ष राजनयिक ने कहा था कि ट्रंप प्रशासन आतंकवादी समूहों का सफाया करने के लिए ‘विश्वसनीय कदम’ उठाने के वास्ते इस्लामाबाद पर दबाव बना रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद की ओर से जेयूडी प्रमुख हाफिज सईद के अभियोजन और दोषसिद्धि जैसे आतंकवाद रोधी हाल में उठाए कदम महत्वपूर्ण तो हैं लेकिन स्थायी नहीं हैं।

तिब्बत की स्वायत्तता को यूएस का समर्थन
अमेरिका ने तिब्बती लोगों की सार्थक स्वायत्तता के लिए अपने समर्थन का फिर से खुला इजहार किया है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि तिब्बती लोगों के बुनियादी तथा अहस्तांतरणीय मानवाधिकारों के लिए, उनके विशिष्ट धर्म, संस्कृति और भाषायी पहचान को संरक्षित रखने की खातिर काम करने के लिए हम दृढ़ संकल्पित हैं। भारत में रह रहे तिब्बत के निर्वासित धार्मिक नेता दलाई लामा तिब्बत के लोगों के लिए सार्थक स्वायत्तता की मांग करते रहे हैं। लेकिन चीन 85 वर्षीय दलाई लामा को अलगाववादी मानता है।

अमेरिकी एनएसए ने जिनपिंग को बताया तानाशाह
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने कहा था कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव शी जिनपिंग खुद को सोवियत तानाशाह जोसेफ स्टालिन के उत्तराधिकारी के रूप में देखते हैं। इतना ही नहीं, अमेरिकी एनएसए ने फीनिक्स में एक कार्यक्रम के दौरान यह भी कहा कि हमारी सहनशीलता और भोलेपन के दिन अब खत्म हो गए हैं। हम अब कम्युनिस्ट पार्टी और उसकी विचारधारा के प्रसार पर लगाम लगाने के लिए कार्रवाई करेंगे। अमेरिका अब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के कारण पैदा होने वाले खतरों को लेकर सचेत हो गया है।

इन मुद्दों को लेकर अमेरिका चीन में विवाद
अमेरिका और चीन के बीच विवाद का प्रमुख कारण दुनिया में अपना धौस जमाना है। ट्रेड वॉर के बाद, कोरोना वायरस, हॉन्ग कॉन्ग में नया सुरक्षा कानून, साउथ चाइना सी में अधिपत्य की होड़, भारत-जापान-ऑस्ट्रेलिया और ताइवान के खिलाफ चीन का आक्रामक रवैया, अमेरिकी पत्रकारों पर प्रतिबंध, उइगुरों का नरसंहार और तिब्बत को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद है।

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