परिवार तक पुलिस की पहुंच, घबरा गया था दुबे?

प्रवीण मोहता, कानपुर
तीन दशक तक अपराध की दुनिया पर राज करने वाला विकास दूबे मारा जा चुका है। नेताओं, अधिकारियों और पुलिस के दम पर विकास ने साम्राज्य खड़ा किया। अकूत संपत्ति बनाई। कई लोगों को तोहफे में फार्म हाउस दिए। कई असरदारों के साथ उसने रियल एस्टेट के प्रॉजेक्ट में निवेश किया, लेकिन उसकी मौत के साथ ही इन राजों से परदा हटने की उम्मीद खत्म हो गई है।

नब्बे के दशक में बुलेट गैंग बनाकर अपराध की दुनिया में एंट्री करने वाले विकास दूबे को पहली सरपरस्ती मिली उस दौर के कद्दावर नेता हरिकिशन श्रीवास्तव से। विधानसभा अध्यक्ष रहे श्रीवास्तव का विकास पर अटूट विश्वास था। विकास का सिक्का चला तो कानपुर, कानपुर देहात और कन्नौज तक चुनावों में उसका असर दिखा। 3 जुलाई को हत्याकांड के बाद विकास की कांग्रेस, बीजेपी, एसपी और बीएसपी समेत हर पार्टी के नेताओं के साथ फोटो भी सोशल मीडिया पर खूब दिखी और हर पार्टी बचाव में नजर आई।

विकास का नेताओं से गठजोड़ इतना ताकतवर था कि कई बार पुलिस उसके एनकाउंटर के करीब पहुंची और नेताओं ने तिकड़म भिड़ाकर उसे बचा लिया। पिछले हफ्ते ही विकास से पूछताछ का एक वीडियो टीवी पर आया तो सियासी हलकों में हड़कंप मच गया था। सूत्र कहते हैं कि इस बार बात सफेदपोशों पर थी तो वे फिर से उसके सलाहकार बने और उसे सरेंडर करने की सलाह दे डाली। विकास के सरेंडर करते ही यह माना जाने लगा था कि अब कुछ होगा। आशंका सही साबित हुई।

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प्रॉपर्टी पर सवाल
जानकार कहते हैं कि विकास ने ज्यादातर संपत्तियां अपने गुर्गों या जानकारों के नाम पर खरीदी। विकास के घर में जो लग्जरी कार मिली थी, वह किसी अमन तिवारी के नाम पर थी। गांव में उसने कई ऐसे लोगों के नाम पर हथियार खरीदे, जो बेहद गरीब थे। इसके अलावा रियल एस्टेट में भी उसने अपनी काली कमाई लगाई थी। कई नेताओं और अधिकारियों को कहीं फार्म हाउस तो कहीं फ्लैट गिफ्ट किए। इन बेनामी ट्रांजैक्शन को पकड़ना एजेंसियों के लिए बहुत मुश्किल होगा।

पर्ची पर लगवाता था नौकरी
सूत्र कहते हैं कि विकास दूबे बिकरू और आसपास के गांवों में अपने समर्थकों के बीच मजबूती बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करता था। वह किसी भी युवक को एक पर्ची लिखकर देता था और चौबेपुर क्षेत्र की फैक्ट्री में उसे नौकरी मिल जाती थी। ऐसे युवकों की तादाद करीब 500 है। बताते हैं कि बीते दिनों एनकाउंटर में मारे गए दो युवक भी एक नामी ब्रैंड में नौकरी करते थे।

दूध एक ही जगह सप्लाई
सूत्र यह भी बताते हैं कि विकास के आगे चौबेपुर क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा सिर झुकाता था। कुछ अरसा पहले कानपुर में पूरी तैयारी के साथ दूध का एक ब्रैंड लॉन्च किया जाना था। कंपनी को इसके लिए काफी दूध की दरकार थी। विकास के फरमान का असर था कि क्षेत्र के सैकड़ों पशुपालक किसानों ने सारा दूध उस ब्रैंड को दे दिए। जबकि पहले से दूध ले रहे कई बड़ ब्रैंड मुंह ताकते रह गए।

परिवार तक पुलिस पहुंचने से घबरा गया था विकास
खूंखार और शातिर विकास कई राज्यों की पुलिस को चकमा देकर मध्य प्रदेश तक तो पहुंच गया था, लेकिन बीते 2-3 दिन से वह असहज हो गया था। सूत्रों के अनुसार, विकास की सबसे बड़ी चिंता अपने परिवार को लेकर थी। पुलिस उसके कई नजदीकी रिश्तेदारों को हिरासत में ले चुकी थी। पिता और माता भी पुलिस की निगरानी में थे। पत्नी और बेटे पर भी शिकंजा कस रहा था। ऐसे में 150 से ज्यादा मुकदमों का आरेापी विकास मानसिक रूप से टूटने लगा था।

इसके अलावा दूसरी बड़ी वजह विकास के बेहद करीबी अमर का पुलिस एनकाउंटर में मारा जाना था। इन झटकों ने उसे पूरी तरह तोड़ दिया। कई शुभचिंतकों की सलाह और परिवार को मुश्किलों से बचाने के लिए उसे सरेंडर करने का स्वांग करना पड़ा।

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