जनसंख्या मानव संसाधन के तौर पर किसी भी देश के लिए उपयोगी हो सकती है लेकिन लगातार अनियंत्रित रूप से जनसंख्या में बढ़ोतरी उसी देश के लिए संकट का सबब भी बन सकती है। खेती के लिए घटती जमीन, गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और भुखमरी जैसी समस्याएं अनियंत्रित बढ़ती जनसंख्या की ही देन हैं। इस समस्या से निपटने के लिए परिवार नियोजन जैसे समाधान मौजूद हैं लेकिन लोगों में इसे लेकर जागरूकता का काफी अभाव है। इसी के लिए हर साल 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई ताकि लोगों की बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या पर थोड़ा ब्रेक लगाया जा सके।
साल 1989 की बात है। 11 जुलाई को दुनिया की जनसंख्या 5 अरब हो गई। ऐसे में लोगों को लगने लगा था कि अब जनसंख्या कई देशों के लिए विकराल समस्या बनने वाला है। इसके एहतियातन उपायों को लेकर जागरूकता फैलाने के लक्ष्य से संयुक्त राष्ट्र संघ ने 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस घोषित कर दिया।
संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा के बाद साल 1889 से ही हर साल 11 जुलाई को सारी दुनिया में जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन जनसंख्या कंट्रोल करने के लिए तरह-तरह से लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है और उन्हें परिवार नियोजन के उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है।
दुनिया की आबादी 7 अरब के पार पहुंच चुकी है। भारत जनसंख्या के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। यहां 137 करोड़ लोग रहते हैं। भारत की आजादी के समय यहां की जनसंख्या 34 करोड़ थी। रिपोर्ट्स की मानें तो हर साल भारत में एक करोड़ 60 लाख लोग बढ़ जाते हैं। माना जा रहा है कि आने वाले समय में भारत सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश चीन को पीछे छोड़कर पहले नंबर पर आ जाएगा।
भारत में जनसंख्या और प्राकृतिक संसाधनों का अनुपात बेहद असंतुलित है। दुनिया की 2.4 फीसदी जमीन भारत के हिस्से में है, जबकि यहां संसार की तकरीबन 18 फीसदी जनसंख्या निवास करती है। संसाधन कम हैं और जनसंख्या लगातार बढ़ रही है, ऐसे में देश के सामने भुखमरी, गरीबी, बेरोजगारी से लेकर शिक्षा-स्वास्थ्य की सुविधाओं के अभाव तक का संकट है।
भारत में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। वहीं, बेतहाशा बढ़ते जनसैलाब को रोकने के लिए जिम्मेदार अभिभावक अधिनियम, जनसंख्या नियंत्रण कानून और टू चाइल्ड पॉलिसी जैसी योजनाओं को लागू करने की तैयारी की जा रही है।