जब जनवरी में ईरान के मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की एयरस्ट्राइक में हत्या हुई थी, तब इस बात की आशंका उठने लगी थी कि कहीं इस तनाव से तीसरे विश्व युद्ध जैसे हालात न पैदा हो जाएं। हालांकि, जनवरी के बाद से अब तक दुनिया में इतने हादसे हुए हैं कि ईरान-अमेरिका के बीच का तनाव अब एक हिस्सा बन गया है। दुनियाभर में कोरोना वायरस इन्फेक्शन न सिर्फ लाखों जानें ली हैं बल्कि देशों के बीच टकराव की स्थिति को और गंभीर कर दिया है। वहीं, अमेरिका के चीन, उत्तर कोरिया, ईरान और चीन के भारत, जापान, ताइवान से सैन्य मतभेदों से एक बार फिर जानकार 2020 में तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका भांप रहे हैं। एक नजर डालते हैं उन सभी विवादों पर जहां से इस महायुद्ध की नींव पड़ सकती है (Source: Daily Express)
ईरान और इजरायल के बीच तनाव काफी वक्त से चल रहा है जिसकी झलक मिडिल-ईस्ट में छोटे-छोटे सैन्य टकरावों में दिखती रहती है। ईरान गाजा, सीरिया और लेबनान में इजरायल-विरोधी ताकतों का समर्थन करता है जबकि इजरायल क्षेत्र में ईरानी सेनाओं पर हमले करता रहता है। इजरायल कूटनीतिक स्तर पर ईरान-विरोधी गठबंधन बनाने की कोशिश करता है जबकि ईरान मिलीशिया के साथ संबंध मजबूत कर रहा है। फिलहाल यह तो नहीं कहा जा सकता कि अगर ईरान अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को फिर शुरू करता है तो दोनों देश युद्ध करेंगे लेकिन इजरायल ईरान पर सीधा हमला जरूर बढ़ा सकता है। ऐसे में वैश्विक स्तर पर तेल की आपूर्ति पर असर पड़ेगा जिससे ज्यादा देश भी इसमें कूद सकते हैं।
ईरान के कमांडर सुलेमानी ने इराक में अमेरिका के बेस और बगदाद में अमेरिकी दूतावास पर हमले करवाए। इसके जवाब में 3 जनवरी को एक ड्रोन एयर स्ट्राइक में सुलेमानी को निशाना बनाया गया। इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने यहां तक कहा कि सुलेमानी के मारे जाने से दुनिया ज्यादा सुरक्षित हो गई है। पेंटागन ने इसे विदेश में रह रहे अमेरिकी कर्मियों की सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम बताया और कहा कि इससे संदेश दिया गया है कि ईरान आगे से हमले न करे। हालांकि, इससे ठीक उलट ईरान ने संकल्प किया कि वह इसका बदला लेगा। ईरान ने इसे युद्ध का ऐलान भी करार दिया। ट्रंप ने इस पर चेतावनी दी कि अगर सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए ईरान ने किसी अमेरिकी शख्स या ठिकाने को टार्गेट बनाया तो अमेरिका कोई भी कदम उठा सकता है। इसके बाद एक हमले में ईरान ने ‘गलती से’ यूक्रेन के पैसेंजर जेट उड़ा दिया जिसमें 176 लोगों की मौत हो गई। हालात की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ईरान ने ट्रंप की गिरफ्तारी के लिए वॉरंट जारी कर दिया है और इंटरपोल की मदद तक मांगी है।
अमेरिका और तुर्की के बीच तनाव पिछले साल बढ़ गया था। पहले अमेरिका ने सीरिया के बॉर्डर पर अमेरिका-समर्थिक कुर्दों को हटाने की इजाजत दी लेकिन बाद में तुर्की को प्रतिबंधों की चेतावनी दे डाली। इससे दोनों देशों के बीच तनाव गहरा गया। यही नहीं, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तायिप एर्दुगान ने यह भी कहा है कि वह चाहते हैं कि तुर्की परमाणु हथियार बना सके। नतीजतन अमेरिका और तुर्की के बीच संबंध खराब होते जा रहे हैं और इसका असर NATO गठबंधन पर होने की आशंका बढ़ गई है। एर्दुगान को अपने प्लान के प्रति महत्वाकांक्षी बताया जाता है जिससे वॉशिंगटन और अंकारा आमने-सामने आ सकते हैं। इसका असर पड़ोसी रूस पर भी पड़ सकता है।
अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच तनाव 2017 से गहराता जा रहा है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव आने के साथ इनके और खराब होने की आशंका है। ट्रंप प्रशासन इस उम्मीद में है कि उत्तर कोरिया के साथ सफलता से डील करने पर चुनावों में उसे फायदा हो सकता है लेकिन कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। हाल ही में जब उ. कोरिया ने ‘क्रिसमस के तोहफे’ का दावा किया तो अमेरिका में कइयों को चिंता हुई कि कहीं यह परमाणु परीक्षण की ओर इशारा न हो। इसकी संभावना कम ही है लेकिन अगर कोरिया टेस्ट करता है तो अमेरिका को दखल देना पड़ सकता है।
अमेरिका और चीन के बीच प्रतिद्वंदिता पिछले कुछ वक्त पर तनावपूर्ण टकराव में तब्दील होती दिखी है। कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका बुरी तरह से चीन पर हमलावर रहा और इसका असर दोनों के बीच व्यापार समझौतों पर भी देखने को मिला। हालांकि इसके बावजूद साउथ चाइना सी में चीन के तेवर नहीं नरम हुए। न सिर्फ वह वियतनाम के जहाजों को छेड़ रहा है, ईस्ट चाइना सी में जापान को परेशान करना जारी है। अमेरिका ने भी चीन की हरकतों के जवाब में वहां अपने जंगी जहाज उतारे हैं और दोनों आए दिन अपना शक्ति प्रदर्शन करते रहते हैं। उधर, हॉन्ग-कॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर भी अमेरिका अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन को खींचने में लगा है। चीन के उइगर मुस्लिमों को लेकर भी अमेरिका ने अपने यहां कानून लागू कर दिए हैं। अगर दोनों देशों के बीच हालात यूं ही तनावपूर्ण बने रहे तो आशंका है कि अभी सिर्फ आंखें तरेर रहीं सेनाएं आपस में टकरा भी सकती हैं।
दशकों से एक-दूसरे के साथ कड़वे संबंध रखने वाले भारत और पाकिस्तान के बीच में पिछले 10 साल में तनाव और बढ़ा है। 1947 में बंटवारे के बाद दोनों देशों के बीच कई जंगें हुई हैं जिससे शांति और स्थिरता पर नकारत्मक असर पड़ा है। पिछले साल जब भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा दिया तो इसका असर पाकिस्तान में देखा गया जो इस कदम से तिलमिला उठा। एक्सपर्ट्स को आशंका है कि हालात और ज्यादा खराब हुए तो तीसरा विश्व युद्ध भी छिड़ सकता है। हालांकि, ऐसा होना मुश्किल ही है लेकिन कश्मीर के अंदर आतंकी हमलों के तेज होने की आशंका बढ़ गई है। वहीं, चीन के साथ भी भारत तनावपूर्ण स्थिति का सामना कर रहा है। दूसरी ओर भारत को अमेरिका का साथ मजबूती से मिलता जा रहा है। ऐसे में अगर कश्मीर में हालात प्रतिकूल होते दिखे तो भारत के ऊपर कड़े कदम उठाने का दबाव पड़ सकता है जिससे भयावह नतीजों की आशंका होगी।