भोपाल, 10 जुलाई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के लिये सौर ऊर्जा को अहम बताते हुए कहा कि देश में सौर पैनल, बैटरी तथा इससे संबंधित सभी उपकरणों पर आयात की निर्भरता खत्म करनी होगी तथा इन उपकरणों का देश में उत्पादन बढ़ाना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने मध्यप्रदेश के रीवा जिले में एशिया की सबसे बड़ी 750 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाली रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना का वीडियो कांफ्रेस की जरिये दिल्ली से लोकापर्ण किया। इस मौके पर अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा, ‘‘आत्मनिर्भर भारत के लिये बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बहुत आवश्यक है। इसमें सौर ऊर्जा एक बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाली है और हमारे प्रयास भारत के इसी ताकत को विस्तार देने के हैं।’’उन्होंने कहा कि देश में सोलर पैनल, बैटरी तथा इसके अन्य उपकरणों का निर्माण करने के लिये हम सब काम कर रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिये सोलर पैनल सहित सभी उपकरणों के लिये आयात पर निर्भरता समाप्त करनी होगी। घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिये हम अनेक योजना बना रहे हैं। सरकारी विभागों को इसमें मेक इन इंडिया उपकरण ही खरीदने के निर्देश दिये गये हैं। देश के उद्यमियों, युवा सार्थियों से यही आग्रह है कि इस अवसर का फायदा उठायें। प्रधानमंत्री ने कहा कि सौर ऊर्जा के मामले में हम दुनिया में पांचवे स्थान पर हैं। सौर ऊर्जा आज की नहीं ब्लकि 21 वीं सदी की ऊर्जा का एक बड़ा माध्यम होने वाला है। पूरी दुनिया में इसकी चर्चा है कि भारत में सौर ऊर्जा इतनी सस्ती कैसे है। यह चर्चा बढ़ने वाली है और लोग इसे हमसे सीखने आने वाले हैं। स्वच्छ ऊर्जा के लिये भारत सबसे बड़ा बाजार बन रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया की, मानवता की, भारत से इसी आशा, इसी अपेक्षा को देखते हुए, हम पूरे विश्व को जोड़ने में जुटे हुए हैं। इसी सोच का परिणाम आइसा यानि इंटरनेशनल सोलर अलायंस है। आइसा के पीछे वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड, की भावना है। मोदी ने सौर ऊर्जा को साफ और सस्ती बताते हुए कहा, ‘बिजली सबतक पहुंचे, पर्याप्त पहुंचे। हमारा वातावरण, हमारी हवा, हमारा पानी भी शुद्ध बना रहे, इसी सोच के साथ हम निरंतर काम कर रहे हैं। यही सोच सौर ऊर्जा को लेकर हमारी नीति और रणनीति में भी स्पष्ट झलकती है। जहां भारत में वर्ष 2014 में सौर ऊर्जा सात से आठ रुपये प्रति यूनिट हुआ करती थी वहीं आज यह दो से ढाई रुपये प्रति यूनिट हो चुकी है। इसका लाभ उद्योगों को, देश को मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने दुनिया को यह दिखाया है कि अर्थव्यवस्था और पर्यावरण परस्पर विरोधी नहीं बल्कि पूरक हैं। सरकार के सभी कार्यकमों में पर्यावरण सुरक्षा और ईज आफ लिविंग दोनों को महत्व दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘जैसे-जैसे भारत विकास के नए शिखर की तरफ बढ़ रहा है, हमारी आशाएं-आकांक्षाएं बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे हमारी ऊर्जा की, बिजली की जरूरतें भी बढ़ रही हैं। ऐसे में आत्मनिर्भर भारत के लिए बिजली की आत्मनिर्भरता बहुत आवश्यक है।’’ प्रधानमंत्री ने कुछ साल पहले देश में सामान्य बिजली बल्बों को बदलकर एलईडी बल्ब के इस्तेमाल के अभियान का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ एलईडी बल्ब से करीब 600 अरब यूनिट बिजली की खपत कम हुई है। बिजली की बचत के साथ लोगों को रोशनी भी अच्छी मिल रही है। साथ ही हर साल करीब 24,000 करोड़ रुपये की बचत मध्यम वर्ग को हो रहा है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सौर ऊर्जा ने आम ग्राहक को भी उत्पादक बना दिया है। सौर ऊर्जा के उत्पादन से किसान भी जुड़ रहा है। पह फसल उत्पादन के साथ बंजर या कम उपजाऊ भूमि पर बिजली उत्पादन संयंत्र लगाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकता है। मोदी ने मध्यप्रदेश में किसानों को देश में सबसे अधिक बम्बर गेहूं उत्पादन के लिये बधाई देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश के किसानों ने गेहूँ उत्पादन के और प्रदेश सरकार ने गेहूँ खरीदी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इसके लिए आप सभी लोग बधाई के पात्र हैं। मैं चाहता हूँ कि ऊर्जा के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दे । मध्यप्रदेश में वर्ष 2022 तक एक लाख मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। छतरपुर, मुरैना और ओंकारेश्वर के संयंत्र पूरे होने के बाद मध्यप्रदेश सस्ती व साफ सुथरी सौर ऊर्जा का हब बन जायेगा। इसका लाभ मध्यप्रदेश के मध्यम वर्ग, किसान और आदिवासियों को मिलेगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुये मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश में एक लाख मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य रखा है उसे प्राप्त करने के लिये प्रदेश कोई कसर नहीं छोड़ेगा । उन्होंने बताया कि रीवा के सौर संयंत्र में उत्पादित 24% बिजली की आपूर्ति दिल्ली मेट्रो को की जा रही है और बाकी का उपयोग मध्यप्रदेश कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार 11 बजे विश्व की बड़ी सौर परियोजनाओं में शामिल रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर परियोजना का लोकार्पण किया । लगभग 4,000 करोड़ रूपये की लागत वाली 750 मेगावाट की इस परियोजना में पूर्ण क्षमता से सौर ऊर्जा का उत्पादन प्रारंभ हो चुका है। मोदी ने अपने सम्बोधन के अंत में कोरोना महामारी की बीमारी से लोगों को बचने और सतर्क रहने का संदेश देते हुए दो गज की दूरी रखने, मुंह पर मास्क पहनने और नियमित रुप से हाथ धोने तथा इधर उधर नहीं थूकने का आग्रह भी किया।