भारत में चीन के राजदूत सन विडोंग ने कहा है कि भारत और चीन को आपसी सहयोग के ऐसे कदम उठाने चाहिए जिनसे दोनों का फायदा हो, न कि ऐसे काम करें जिनसे दोनों को नुकसान भुगतना पड़े। विडोंग ने एक बयान जारी कर भारत-चीन के बीच सीमा विवाद को शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए ऐसा समाधान ढूंढना चाहिए जो दोनों पक्षों को स्वीकार हो। चीनी राजदूत ने कहा, ‘अतीत से चला आ रहा सीमा विवाद एक संवेदनशील और पेचीदा मुद्दा है। हमें समान परामर्श और शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए उचित और तार्किक समाधान खोजने की आवश्यकता है जो दोनों को स्वीकार हो।’
चीनी राजदूत ने दिए तीन सूत्र
विडोंग ने अपने बयान के जरिए भारत-चीन के बीच दोस्ताना संबंधों के लिए तीन सुझाव दिए। पहला- भारत और चीन को पार्टनर होना चाहिए, ना कि प्रतिस्पर्धी। दूसरा- भारत और चीन को शांति की चाह रखनी चाहिए, न कि संघर्ष की और तीसरा- भारत और चीन को पारस्परिक हित के कदम उठाने चाहिए, न कि दोनों को नुकसान पहुंचाने वाले।
खूनी झड़प का जिक्र
विडोंग ने अपने बयान की शुरुआत पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प के वाकये से की। उन्होंने कहा कि वह ऐसी परिस्थिति थी जिसे न भारत देखना चाहेगा, न ही चीन। उन्होंने कहा कि कमांडर लेवल की बातचीत में हुए समझौते के आधार पर अब हमारी सेनाएं पीछे हट चुकी हैं।
भारतीयों में बढ़ते अविश्वास से डर गया चीन?
चीनी राजदूत ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि गलवान में भारतीय सैनिकों पर चीनी सैनिकों के धोखे से किए गए वार के बाद भारत में चीन के प्रति अविश्वास का माहौल बढ़ा है। ऐसा लगता है कि विडोंग ने चीन को इससे होने वाले नुकसान की आशंका में अपनी तरफ से सफाई पेश करना जरूरी समझा। उन्होंने कहा, ‘गलवान वैली में हाल की घटनाओं के बाद भारतीयों का कुछ तबका दोनों नेताओं (भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग) के बीच बने आम राय के प्रति संदेह जताते हुए भारत-चीन संबंधों को लेकर गलत धारणा बनाने लगा है। इससे द्विपक्षीय संबंधों को आघात लगा है।’