इस हफ्ते एक जर्नल में प्रकाशित एक ओपन लेटर में ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के दो वैज्ञानिकों ने लिखा कि कुछ रिसर्च से पता चला है कि सांस छोड़ने, बात करने और खांसी के दौरान हवा में वायरस फैलते हैं। डब्ल्यूएचओ लंबे समय से इस संभावना को खारिज कर रहा था कि कोरोना वायरस कुछ चिकित्सा प्रक्रियाओं को छोड़कर हवा में फैलता है।
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WHO ने पहले कहा था कि जब मरीजों को पहली बार श्वास मशीन पर रखा जाता है, तब यह वायरस फैलने का खतरा होता है लेकिन अब उसने माना कि कोरोना वायरस हवा में भी फैल सकता है। स्वास्थ्य संगठन ने साथ ही कहा कि ऐसा किसी कोरोना संक्रमित मरीज के साथ इंडोर यानी बंद दरवाजों और घर में रहने से हो सकता है।
अपनी पिछली बात में बदलाव करते हुए WHO ने गुरुवार को कहा कि रेस्तरां और फिटनेस क्लास के दौरान COVID -19 के प्रकोप का मूल्यांकन करने वाली रिसर्च से पता चलता है कि कोरोना वायरस हवा में भी फैला होगा। उसने कहा कि ऐसा विशेष रूप से इंडोर स्थानों में, जैसे अपर्याप्त हवादार स्थानों पर संक्रमित व्यक्तियों के साथ लंबे समय तक रहने से हो सकता है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि अधिकारियों ने बताया है कि वायरस फैलने के अन्य तरीके जैसे इंडोर में कोरोना संक्रमित लोगों के बीच संपर्क और वायरस वाली जगहों पर जाना भी शामिल हैं।
डब्ल्यूएचओ के साथ ही कहा कि ऐसे वायरस का फैलना दुर्लभ ही है, जैसा कि कई वैज्ञानिकों ने दावा किया था। वैश्विक एजेंसी ने कहा कि ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से ही वायरस फैला है, जैसे खांसी या छींकते वक्त सुरक्षा संबंधी उपाय ना करना। साथ ही यह भी कहा कि बिना लक्षणों वाले लोग भी इस वायरस को फैलाने में सक्षम हैं।
शोधकर्ताओं, जिसमें 200 से ज्यादा लोग शामिल थे, ने डब्ल्यूएचओ सहित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकारियों से कोरोना वायरस के खिलाफ और ज्यादा कठोर सुरक्षात्मक उपायों को अपनाने की अपील भी की।
घातक कोरोना वायरस से दुनियाभर में अब तक 5.5 लाख लोगों की जान जा चुकी है। दुनियाभर में कोविड-19 के कुल मामले 1.2 करोड़ के भी पार हो चुके हैं।
(एजेंसी से इनपुट)