सड़कों पर बीता जगदीप का बचपन, मां यतीम खाने में खाना बनातीं और वह साबुन बेचा करते, फिर पलटी किस्मत

जगदीप, जिन्हें हम सूरमा भोपाली नाम से अपने ज्यादा करीब महसूस करते हैं…इनकी जिंदगी का सफर बड़ा ही कठिन रहा है। कहते हैं कि इनकी कहानी भी भारत के विभाजन के समय से शुरू होती है। वे ग्वालियर से मुंबई पहुंचे और तब वह मात्र 6-7 साल के रहे होंगे और बचपन सड़क पर बीतने लगा। पिता का साया सिर से उठ चुका था और कहा जाता है कि मां यतीम खाने में खाना बनाने का काम करतीं ताकि वह अपने बच्चे को पढ़ा-लिखा सके और उसे पाल सके।

एक दिन जगदीप को ख्याल आया कि उनकी मां इतनी तकलीफ सह रही हैं और अब उन्हें भी बाकी बच्चों की तरह काम करना चाहिए। हालांकि, मां ने काफी समझाया लेकिन जगदीप ने ठान लिया था कि अब पढ़ाई छोड़कर कुछ न कुछ काम करना ही होगा। वह पतंगें बनाने लगे और साबुन बेचने का काम करने लगे और फिर एक दिन किस्मत ने पलटी मार दी।

जिस सड़क पर जगदीप काम किया करते थे वहां एक आदमी आया और वह वैसे बच्चों को ढूंढ रहा था जो फिल्म में काम कर सके। उस शख्स ने जगदीप से फिल्मों में काम के बारे में पूछा कि क्या तुम काम करोगे? जिसपर उनका जवाब सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। जगदीप ने उस शख्स से पूछा कि ये फिल्में क्या होती हैं? सच यह था कि उन्होंने कभी फिल्में देखी ही नहीं थी। खैर, जगदीप ने सीधे पैसे की बात की कि उन्हें इस काम के लिए कितने मिलेंगे? जिसपर जवाब आया 3 रुपये।

जगदीप को ऐसा लगा जैसे उनकी लॉटरी लगी हो और वह तुरंत फिल्मों में काम के लिए तैयार हो गए। अगले दिन जगदीप की मां उन्हें लेकर स्टूडियो पहुंच गईं, जहां बच्चों का ही सीन चल रहा था। हालांकि, उस वक्त जगदीप को केवल चुपचाप बैठने वाला रोल मिला था, लेकिन तभी उर्दू में एक ऐसा डायलॉग आया, जिसे कोई बच्चा बोल नहीं पा रहा था। तभी जगदीप ने किसी बच्चे से पूछा कि यदि यह डायलॉग मैंने बोल दिया तो क्या होगा, जवाब आया- पैसे ज्यादा मिलेंगे 6 रुपये। जगदीप ने सामने जाकर यह डायलॉग बड़ी ही खूबसूरती से बोल दिया और फिर यहीं से शुरू हुआ उनकी चाइल्ड आर्टिस्ट का सफर। यह फिल्म थी बी. आर. चोपड़ा की ‘अफसाना’।

खैर, बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम करते हुए उन्होंने मुंबई के जे.जे. हॉस्पिटल के पास एक छोटी सी झोपड़ी बनाई और फिर माहिम में खोली यानी एक कमरा लिया। इसके बाद उन्होंने चेन्नै और मुंबई में अपना बंगला बना लिया।

जगदीप ने तीन शादियां कीं, जिसमें नसीम बेगम से उन्हें तीन बच्चे हुए जिनका नाम हुसैन, शाकिर आसिफ और सुरैया। बेगम जाफरी से उन्हें जावेद और नावेद जाफरी हुए जो फिल्म इंडस्ट्री की दुनिया में काफी मशहूर हैं। जगदीप की तीसरी पत्नी का नाम नाज़िमा था।

जगदीप ने अपने करियर में लगभग 200 फिल्में कीं। वह कई फिल्मों में लीड रोल में भी नजर आए। फिल्म ‘भाभी’ में नंदा इनकी हिरोइन थीं। जगदीप ने बिना ब्रेक लिए 35 साल लगातार फिल्मों में काम किया। जगदीप अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनका काम हमेशा जिंदा रहेगा। बीती रात 8 जुलाई 2020 को 81 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

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