सच में रिवर्स माइग्रेशन शुरू हो चुका है?

नई दिल्ली
प्रवासी मजदूरों का रिवर्स माइग्रेशन शुरू हो चुका है। बिहार से निकलने वाली ट्रेनों में भारी भीड़ है और ट्रेनें भर-भर कर बिहार से बाहर जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि रिवर्स माइग्रेशन शुरू हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अपने होम टाउन में प्रवासी मजदूरों को उनके काबिलियत के हिसाब से नौकरी नहीं मिल रही है और लॉकडाउन खत्म हो गया है। ऐसे में पुराने नौकरी को वापस पाने के लिए वे वापस शहर आ रहे हैं।

शहर में रोजगार के अवसर फिर से मिलने लगे हैं
इधर शहर में आर्थिक और रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। माहौल बेहतर होने के कारण मजदूर लौट रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के दावे पर असंतुष्टि जाहिर की और कहा कि आपका दावा सच्चाई से दूर है। महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि उनके यहां कोई मजदूर ऐसा नहीं बचा जो पैतृक घर जाना चाहता हो।

मजदूर शहर की ओर वापस आ रहे हैं
गुरुवार को प्रवासी मजदूरों के मामले में सुनवाई शुरू हुई तब सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि अब ट्रेंड बदल गया है। प्रवासी मजदूर शहर की ओर लौटना चाह रहे हैं ताकि उन्हें रोजगार मिल सके। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि एक मई से लेकर अब तक साढ़े तीन लाख कामगार अपने काम पर लौट गए हैं। बिहार सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट रंजीत कुमार ने कहा कि बिहार से रिवर्स माइग्रेशन हो रहा है। जो प्रवासी मजदूर बिहार गए थे, वह वापस शहर की ओर लौट रहे हैं।

बिहार से खुलने वाली ट्रेनों में भारी भीड़
बिहार के पटना और अन्य शहरों से चलने वाली ट्रेनों में भारी भीड़ है और वह भर के बिहार से बाहर जा रही है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि महाराष्ट्र में जो प्रवासी मजदूर थे उनमें अब कई ऐसे हैं जो वापस नहीं जाना चाहते और रहना चाहते हैं क्योंकि राज्य सरकार ने रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि महाराष्ट्र में सबकुछ ठीक है और स्थिति बेहतर है इसलिए मजदूर जो पहले राज्य से जाना चाहते थे अब वहीं रोजगार करना चाह रहे हैं।

महाराष्ट्र सरकार को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद प्रवासी मजदूरों को मदद करने में राज्य सरकार ने कोई कोताही नहीं की और कहा कि मजदूरों को वापस भेजा गया और अब कोई ऐसा मजदूर नहीं है जो पैतृक गांव जाना चाहता है। इस बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि राज्य सरकार दावा कर रही है कि सब ठीक है जबकि उन्हें जानकारी है कि अभी भी कई प्रवासी मजदूर घर जाने के इंतजार में हैं और वह फंसे हुए हैं।

कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से कहा, आपके काम से संतुष्ट नहीं
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह समस्या का पता लगाए और उसका निदान करे। हम राज्य सरकार को कहना चाहते हैं कि आपके स्टैंड से संतुष्ट नहीं हैं। आपका अप्रोच विपरीत दिशा में जा रहा है। राज्य सरकार की ड्यूटी है कि वह उन प्रवासी मजदूरों की पहचान करे जो जरूरतमंद हैं और घर जाना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के हलफनामे से असंतुष्टि जताई। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से दोबारा हलफनामा देने को कहा है।

राज्य सरकारें अपनी जिम्मेदारी निभाएं
जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पता करे कि कौन से प्रवासी मजदूरों के समूह हैं जिनको खाने की जरूरत है। सॉलिसिटर जनरल महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हो रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपका हलफनामा कहता है कि सबको खाना दिया जा रहा है लेकिन हम समझते हैं कि ये सच्चाई से काफी दूर है। आप सही तरह से हलफनामा दायर करें।

प्रवासी मजदूरों को इंश्योरेंस कवर देने की अपील
मामले की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने दलील दी कि कोरोना महामारी से जो चुनौती पैदा हुई है उससे निपटने के लिए नैशनल स्कीम की जरूरत है। वहीं अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को इंश्योरेंस कवर दिया जाना चाहिए। अब अगले शुक्रवार को मामले की सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के मामले में संज्ञान लिया था और केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह मजदूरों को 15 दिनों में पैतृक घर भेजने की व्यवस्था करें और उनसे किराया न लिया जाए।

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