ऐस्ट्रोनॉमर्स ने दो सितारों को एक-दूसरे चक्कर लगाते देखा है जो मरने की कगार पर हैं। इनमें से एक न्यूट्रॉन स्टार () है, जो पहले कभी विशाल रहा होगा। यह एक पल्सर (Pulsar) के चक्कर काट रहा है। पल्सर एक मैग्नेटाइज्ड (चुंबकीय) न्यूट्रॉन स्टार है जो तेजी से घूम रहा है और इससे रेडियो वेव निकल रही हैं। इस तरह दो सितारों का एक-दूसरे के चक्कर काटना आम घटना नहीं है और ऐस्ट्रोनॉमर्स का अंदाजा है कि आने वाले 47 करोड़ सालों में ये आपस में मिल जाएंगे। वैसे सुनने में यह भले ही लंबा वक्त लगे लेकिन यूनिवर्स की बात करें तो 47 करोड़ साल कुछ भी नहीं।
पहले के अनुभवों से अलग खोज
यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट ऐन्जेलिया स्कूल ऑफ फिजिक्स के लीड रिसर्चर डॉ. रॉबर्ट फर्डमन का कहना है, ‘इस इवेंट को लेकर ज्यादातर थिअरी में यह अंदाजा लगाया जाता है कि जो दो न्यूट्रॉन स्टार इसमें शामिल हैं, उनका mass (द्रव्यमान) एक समान है। हमारी नई खोज से इस अंदाजे में बदलाव आया है। हम ऐसे सितारों को देख रहे हैं जिनका mass काफी अलग है।’ उन्होंने बताया है कि एक सितारा दूसरे से बेहद बड़ा है।
इसलिए बना है यह सिस्टम
डॉ. फर्डमन ने बताया, ‘बड़े का गुरुत्वाकर्षण दूसरे सितारे के आकार को बिगाड़ रहा है और उनके आपस में मिलने से पहले ही उससे मैटर को बाहर कर रहा है। इसकी वजह से पूरी प्रक्रिया पर असर पड़ रहा है।’ उन्होंने बताया है कि इसकी वजह से एक जैसे mass वाले सितारों की टक्कर की जगह इन दोनों के आपस में मिलने से बड़ा धमाका होगा। उनकी रिसर्च में दावा किया गया है कि 10 में से एक सिस्टम ऐसा जरूर होता है जिनमें दो सितारे ये प्रॉपर्टी दिखाते हैं।
2017 में देखा गया था नजारा
इन विशाल ऑब्जेक्ट्स के आपस में मिलने से बड़ी मात्रा में ग्रैविटेशनल (गुरुत्वाकर्षण) वेव और रोशनी रिलीज होगी। दो न्यूट्रॉन सितारों के मिलने की पहली झलक 2017 में देखी गई थी जिसके बाद ऐस्ट्रोनॉमी की दुनिया में नया दौर शुरू हो गया। इसे GW170817 नाम दिया गया और यह हमारी आकाशगंगा से 13 करड़ प्रकाशवर्ष दूर हुआ। हालांकि, इससे निकली चमक और मैटर आज तक एक रहस्य है।