क्या थी चांद पर मिली वह अजीब सी चीज?

पिछले साल चांद पर मिला चिपचिपे जेल (gel) जैसा पदार्थ क्या था, चीन के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगा लिया है। चीन के यूतू-2 (Yutu-2) रोवर को गाढ़े हरे रंग का यह पदार्थ पिछले साल मिला था जिसकी केमिकल संरचना और उत्पत्ति को लेकर कई सवालों के बारे में पता लगा लिया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह दरअसल जेल नहीं बल्कि एक तरह के खनिज जैसा है जो गर्मी में पिघलकर चट्टान सा हो गया है। (Photo: Chinese Lunar Exploration Mission, CLEP)

Yutu-2 को यह पदार्थ 110 मील के वॉन कर्मन (Von Karman) क्रेटर में मिला था जो चांद के दूर के हिस्से पर मौजूद है। चाइनीज अकैडमी ऑफ साइंसेज के रिसर्चर्स ने पता लगाया है कि यह पदार्थ जेल नहीं बल्कि कड़ा, कांच जैसा खनिज था जो गलकर ऐसा लगने लगा था। माना जा रहा है कि किसी ऐस्टरॉइड (Asteroid) की टक्कर से निकली गर्मी से यह पिघल गया था।(Image: NASA/GSFC/Arizona State University)

टीम को पता लगा है कि यह खनिज से बनी एक तरह की चट्टान ब्रेक्सिया (breccia) जैसा है जो किसी बाहरी फोर्स की वजह से सीमेंट जैसी स्थिति में तब्दील हो गया है। इसे सबसे पहले Yutu-2 कंट्रोल कर रहे वैज्ञानिकों ने देखा था। यह Von Karman की मिट्टी से काफी अलग दिख रहा था, इसलिए वैज्ञानिकों का ध्यान इस पर गया। रोवर के कैमरे में यह हरे रंग का जल लग रहा था जबकि आसपास की मिट्टी सूखी दिखाई दे रही थी। (Photo: Chinese Lunar Exploration Mission, CLEP)

पहले माना जा रहा था कि यह किसी ज्वालामुखी से निकला हो सकता है। हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि 3 अरब साल में चांद पर कोई सक्रिय ज्वालामुखी नहीं देखा गया है। इसके बाद टीम का पता चला कि यह सफेद-ग्रे रंग के क्रिस्टल पैजियोक्लेस (pagioclase), लोहे-मैग्निशियम सिलिकेट, ओलिवाइन और पाइरॉक्सीन का मिक्स हो सकता है जो किसी ऐस्टरॉइड की टक्कर से पिघलकर आपस में मिल गए और जम गए। (Photo: Chinese Lunar Exploration Mission, CLEP)

हालांकि, वैज्ञानिक अभी भी इस बात को लेकर हैरत में हैं कि यह क्रेटर में उस जगह पर कैसे पहुंचा जहां बाकी मिट्टी काफी अलग है। माना जा रहा है कि जिस ऐस्टरॉइड की टक्कर की वजह से यह पैदा हुआ है, उसी के साथ यह कहीं दूर से खिंचता चला आया और फिर क्रेटर में जमा हो गया। हालांकि, यह सिर्फ थिअरी है, और यह कब कहां से आया और टक्कर कैसे हुई, इसके बारे में कोई जानकारी फिलहाल नहीं है। (Photo: Chinese Lunar Exploration Mission, CLEP)

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