नेहरू से अलग है मोदी की चीन नीति, समझें

नई दिल्ली
भारत-चीन के बीच लद्दाख (Ladakh Standoff) में पिछले तीन महीने से जारी तनाव में थोड़ी नरमी तो जरूर आई है लेकिन तल्खी कमी नहीं है। इन सबके बीच एनसीपी चीफ शरद पवार ने की तारीफ की और उनके लेह दौरे को देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू से जोड़ा। उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थिति में देश के नेतृत्व को आगे आकर सेना के जवानों का हौसला बढ़ाना चाहिए। बात दें की पीएम मोदी ने 3 जुलाई को लेह के फारवर्ड पोस्ट का दौरा किया था और बिना नाम लिए ही चीन (India and China Tension) को जमकर सुनाया था। उन्होंने साफ शब्दों में कहा था कि विस्तारवाद का युग खत्म हो चुका है और विकासवाद का युग जारी है। पीएम ने अपने संदेश में साफ कर दिया कि वह दोस्ती भी मन से करते हैं और दुश्मनी भी उतनी ही शिद्दत से। पीएम की इस यात्रा के कुछ दिन बाद ही चीन गलवान घाटी के विवादित इलाके से अपने सैनिकों को हटा लिया और तनाव कम करने की कोशिश में जुट गया।

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नेहरू की छवि को लगा था झटका
लेकिन पीएम मोदी और पूर्व पीएम नेहरू के सीमा पर जाने में अंतर है। तत्कालीन पीएम नेहरू 1962 की जंग हार जाने के बाद जवानों से मिलने गए थे। नेहरू तत्कालीन रक्षा मंत्री यशवंत राव चव्हाण के साथ LAC पर गए थे। उस चीन के प्रति नहेरू की नीति की विपक्ष ने जोरदार आलोचना की थी। इस युद्ध में चीन ने भारत की जमीन को हड़प लिया। विपक्ष ने नेहरू से लेकर तत्कालीन रक्षा मंत्री कृष्ण मेनन को पर निशाना साधा था। चीन से हार के बाद नेहरू की उत्कृष्ट और वर्ल्ड लीडर की छवि को तगड़ा झटका लगा था।

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नेहरू ने कह दिया था अक्साई चिन में तिनका भी नहीं उगता
पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू ने चीनी कब्जे पर एकबार यहां तक कह दिया था कि अक्साई चिन एक बंजर इलाका है, जहां घास भी नहीं होती है। उनके इस बयान के बाद एक सांसद ने कहा उनके सिर बाल नहीं उगते तो क्या वह भी चीन को दे दिया जाए। नेहरू के इस बयान की जबरदस्त आलोचना हुई थी।


नेहरू से अलग पीएम मोदी की नीति

पवार ने भले ही मोदी और नेहरू की तुलना कर दी हो लेकिन चीन के साथ संघर्ष में पीएम मोदी का रुख पूर्व पीएम नेहरू से अलग रहा। गलवान में खूनी झड़प में भारत के 20 जवान के शहीद होने के बाद भारत काफी कड़ा स्टैंड ले लिया। इस झड़प में चीन के भी 40 जवान मारे गए थे। पीएम मोदी ने विपक्षी दलों की बैठक से पहले देश के मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना पर हुई बैठक में साफ-साफ शब्दों में कहा था कि जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारे जवान मारते-मारते मरे हैं और देश की सीमा की तरफ आंख उठाने वाले को बख्शा नहीं जाएगा। पीएम मोदी लगातार चीन को बिना नाम लिए निशाने पर लेते रहे।

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मोदी ऐक्टिव, LAC पर चीन से ज्यादा सैनिक तैनात
1962 की लड़ाई में चीन के सामने जवानों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा था। उनके पास हथियार और गोला बारूद की कमी थी। लेकिन इसबार चीन की हिमाकत के बाद भारत ने तेजी से LAC पर जवानों की तैनाती की। लद्दाख में चीन से ज्यादा जवान तैनात कर दिए गए। गलवान की झड़प के बाद सेना को खुली छूट दे दी गई। वायुसेना और नौसेना को युद्ध के स्तर तक अलर्ट कर दिया गया। वायुसेना के लड़ाकू विमान लद्दाख सीमा की निगहबानी में जुट गए। भारत तमाम सामरिक तैयारियों में जुट गया। पीएम मोदी ने साफ कहा था कि दुश्मन को करारा जवाब मिलेगा। सीमा पर हेकड़ी दिखा रहे ड्रैगन भारत के ऐक्शन को देख हक्काबक्का रह गया।

लद्दाख में सीमा तक जाने वाली सड़क बनाने का काम तेज
यहीं नहीं, मोदी सरकार ने लद्दाख सीमा तक जाने वाली सड़कों को बनाने का काम तेजी से जारी रखा। चीन के तमाम धमकियों और धौंस को भारत ने कोई तवज्जो नहीं दिया और सीमा तक सड़क बनाना जारी रखा। रणनीतिक दृष्टि से अहम इन सड़कों के निर्माण से चीन को मिर्ची लगी।

मोदी ने ड्रैगन को आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर घेरा
1962 के उलट भारत ने इसबार चीन को सामरिक, कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर घेरा। मोदी सरकार ने ड्रैगन को उसकी औकात बताते हुए TikTok समेत चीन के 59 ऐप्स पर भारत में बैन लगा दिया। इस कार्रवाई के बाद चीन बौखला गया। आर्थिक मार पड़ने के बाद चीन के बोल हल्के हुए। इस बीच भारत सामरिक तौर पर भी जोरदार तैयारी कर रहा था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस दौरे में मिग 29 से लेकर ऐंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 की जल्दी आपूर्ति का आग्रह कर आए। रूस भी अपने पुराने दोस्त भारत को सभी मदद को तुरंत तैयार हो गया। इसके अलावा भारत ने चीन को कूटनीतिक मोर्चे पर भी जोरदार घेरेबंदी की। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के कई देश भारत से समर्थन में खुलकर आ गए। अमेरिका ने तो यहां तक कह दिया कि वह भारत को सैन्य मदद भी मुहैया करा सकता है चीन के खिलाफ।

मोदी का लद्दाख दौरा
पूर्वी लद्दाख सेक्‍टर में कई जगहों पर तनातनी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख की फारवर्ड लोकेशंस का दौरा कर चीन को साफ संदेश दिया था। पीएम मोदी का बॉर्डर एरियाज में जाकर सैनिकों के बीच जाना पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी (PLA) को साफ संदेश है कि भारत सरकार अपने सैनिकों के साथ खड़ी है। पीएम मोदी को पहले सेना ने ताजा हालात के बारे में ब्रीफ किया, जिसके बाद उन्‍होंने फ्रंटलाइन पर तैनात जवानों से खुद बात की। पीएम के इस दौरे से चीन बौखला गया था लेकिन पीएम मोदी ने संदेश साफ-साफ दे दिया। उन्होंने चीन को इशारों में बता दिया कि विस्तारवाद नहीं चलेगा और भारतीय जवान पूरी तैयारी के साथ डटे हुए हैं। मोदी के इस दौरे के बाद अचानक से चीन और भारत में बैकचैनल बातचीत तेज हो गई और फिर चीन गलवान घाटी से 1.5 किलोमीटर अपने सैनिकों को पीछे हटा लिए।

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