भारत नेपाल की सीमा पर शुरु हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। एकबार फिर नेपाल के रौतहट जिले के जिला पदाधिकारी ने ललबकैया नदी पर बन रहे बांध को तोड़ने की धमकी दी है। नेपाल की नदियों से पूर्वी चम्पारण जिले में मचने वाली तबाही को रोकने के लिए बांध का निर्माण कराया जाना है, जिसे नेपाल ने अपनी जमीन बताते हुए बांध के निर्माण पर रोक लगा दी है। नेपाल सीमा प्रहरी के जवानों और बंजराहां गांव के निवासियों ने भारतीय सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के जवानों के साथ मारपीट भी की है।
30 मई को हुए विवाद के बाद बांध के निर्माण कार्य को रोक दिया गया था, जिसके बाद पूर्वी चम्पारण जिला प्रशासन ने इस विवाद की जानकारी राज्य और केन्द्र सरकार को दी थी। जिला प्रशासन की सूचना पर सर्वें ऑफ इंडिया और नेपाल की सर्वे टीम ने विवादित स्थल का सर्वे किया है। सर्वे टीम केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके बाद सरकार के दिशा निर्देशों की प्रतिक्षा जिला प्रशासन को है। आइए जानते हैं इस मसले पर पूर्वी चम्पारण के डीएम का क्या कहना है।
भारत नेपाल की सीमा पर लगे पीलर 347/5 से 347/7 के बीच की जमीन को नेपाल अपनी जमीन बताकर भारतीय सीमा में बन रहे बांध के निर्माण को रोक दिया है। सर्वे के बाद अभी पूर्वी चम्पारण जिला प्रशासन सरकार के दिशा निर्देश की प्रतिक्षा कर रही है, तब तक नेपाल के रौतहट जिले के डीएम वासुदेव घिमिरे ने एक पत्र जारी कर ललबकेया नदी हो रहे निर्माण कार्य को हटाने अन्यथा बांध को तोड़ देने की धमकी दी है।
ललबकेया नदी नेपाल की पहाड़ी इलाकों से निकलती है और पूर्वी चम्पारण जिला के चार प्रखंडों में तबाही मचाती रहती है। पिछले 2017 में आयी प्रयलंकारी बाढ़ के बाद जिला प्रशासन ने अंग्रेजों के शासन काल में बने इस बांध को ऊंचा करना शुरु किया है।
बांध का पुनर्निर्माण अधिकांश हिस्सों में किया जा चुका है, लेकिन नेपाल ने 3.1 किलोमीटर से 3.6 किलोमीटर तक के बांध की मरम्मति और पुनर्निर्माण पर रोक लगाया है।
इधर, पूर्वी चम्पारण के डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने कहा कि सर्वे टीम ने सर्वे किया है, जिसकी रिपोर्ट टीम केन्द्र सरकार को दिया है, जहां से दिशा निर्देश मिलने के बाद ही अगला कदम उठाया जायेगा।