चीनी सैनिक पीछे हटे या नहीं, ऐसे होगी पड़ताल

नई दिल्लीभारत और चीन की सेनाएं संभवतः संयुक्त रूप से पूर्वी लद्दाख में उन इलाकों का दौरा कर यह देखेंगी कि दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए या नहीं। मामले से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि दोनों सेनाओं का संयुक्त दल यह सुनिश्चित भी करेगा कि विभिन्न जगहों पर अस्थाई निर्माण को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सैनिकों के हटने और अस्थाई निर्माण के ढहाए जाने की पुष्टि हो जाने पर दोनों सेनाएं सामान्य स्थिति की बहाली और इलाके में दोबारा शांति एवं सौहार्द कायम करने के तरीकों पर भी गहन बातचीत करेंगी।

अब पूर्व की स्थिति बहाल करने पर होगा ध्यान
सूत्रों ने कहा कि सैनिकों को विवादित स्थल से पीछे हटाने के बाद पूरा ध्यान 5 मई से पूर्व की स्थिति को बहाल करने पर होगा। दोनों देशों के बीच बनी पारस्परिक सहमति के मुताबिक, किसी भी देश के सैनिक तब तक विवादित स्थल तक पेट्रोलिंग करने नहीं जाएंगे जब तक कि सामान्य हालात की बहाली करते हुए शांति स्थापित करने के तौर-तरीके नहीं ढूंढ लिए जाएं।

पीछे हटने की प्रक्रिया जल्द पूरा होने की उम्मीद
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच रविवार को बिल्कुल स्पष्ट और गंभीर बातचीत हुई जिसमें (LAC) पर तनाव खत्म करने की रूपरेखा तय की गई। उसके बाद सोमवार सुबह से चीन की पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) ने संघर्ष वाली कई जगहों से अपने सैनिकों को वापस बुलाना शुरू कर दिया। चीनी सैनिक गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग्स से पीछे हट चुके हैं जबकि गुरुवार तक गोगरा से भी सैनिकों के हटने की प्रक्रिया पूरी हो जाने की उम्मीद है।

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अब विश्वास का संकट
सैन्य सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना एलएसी पर अपना आक्रामक रुख कायम रखेगी जब तक कि चीन की तरफ से सैनिक जमावड़ा खत्म नहीं किया जाता है। 5 मई के झड़प के बाद से दोनों देशों ने एलएसी पर अपने-अपने सैनिकों और साजो-सामान में भारी वृद्धि कर दी। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा, ‘अब विश्वास का मुद्दा सबसे बड़ा है। अब हम अपनी गश्ती में कोई कमी नहीं करने वाले।’

डोभाल-वांग की बातचीत से निकला रास्ता
भारत और चीन की सेनाओं में पिछले आठ हफ्तों में पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में कई बार संघर्ष हुआ। 15 जून को तो गलवान में चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर धोखे से वार कर दिया। इस खूनी संघर्ष में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए जबकि चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों के मारे जाने की संभावना जताई जा रही है। इस बीच दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बातचीत हुई। दोनों देशों ने राजनयिक और सैन्य स्तर पर एक-दूसरे से संपर्क साधा, लेकिन रविवार शाम तक इन प्रयासों का ठोस परिणाम सामने आता नहीं दिखा। सूत्रों ने बताया कि बात तब बनी जब डोभाल और वांग के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत हुई।

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अभी ड्रोन से रखी जा रही है नजर
सेना के पीछे हटने की प्रक्रिया दो महीने तक चले सैन्य गतिरोध के बाद शुरू हुई है और यह ‘कोर कमांडरों की बैठक में सहमत शर्तों के अनुसार’ हो रही है। कोर कमांडरों के बीच हुए समझौते के अनुसार, इन क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा के दोनों ओर कम से कम 1.5 किलोमीटर का एक बफर जोन बनाया जाना है। सूत्रों ने कहा कि गलवान घाटी में बर्फ पिघलने के कारण गलवान नदी का जल स्तर अचानक बढ़ गया है, जिसकी वजह से चीन इस क्षेत्र से पीछे हटने को मजबूर हुआ हो। भारतीय सेना फिलहाल चीनी सैनिकों की वापसी की पुष्टि के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है क्योंकि गलवान नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण फिजिकल वेरिफिकेशन में बाधा पैदा हुई है।

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