कोरोना वायरस से जूझ रही दुनिया के लिए अच्छी खबर है। अमेरिका ने कोरोना वायरस की वैक्सीन के लिए 1.6 अरब डॉलर का फंड मुहैया कराने का ऐलान किया है। यह पैसा नोवावैक्स कंपनी को दिया जाएगा। अमेरिका ने अपने रैप स्पीड अभियान के तहत यह अब तक सबसे ज्यादा पैसा किसी कंपनी को वैक्सीन के लिए दिया है। इसके अलावा अमेरिका रेगेनेरोन कंपनी को भी 45 करोड़ डॉलर की सहायता दे रहा है।
यह कंपनी कोरोना वायरस संक्रमण के लिए नए तरीके तलाशने पर काम कर रही है। समझौते की शर्तो के मुताबिक नोवावैक्स कंपनी इस साल के आखिर तक अमेरिका के स्वास्थ्य और रक्षा विभाग को कोरोना वायरस की 10 करोड़ डोज देगी। कंपनी के सीईओ स्टैनली इरैक ने कहा, ‘हम ऑपरेशन रैप स्पीड का हिस्सा बनकर बहुत फक्र महसूस कर रहे हैं। हम जल्द से जल्द अपने देश की जनता की रक्षा के लिए जल्द से जल्द वैक्सीन मुहैया कराएंगे।’
वैक्सीन का आखिरी ट्रायल जल्द
नोवावैक्स कंपनी की वैक्सीन के दो ट्रायल हो चुके हैं और आखिरी ट्रायल जल्द ही होने वाला है। इस वैक्सीन का नाम NVX-CoV2373 है। कंपनी ने कीड़ों की कोशिकाओं का इस्तेमाल करके कृत्रिम तरीके से कोरोना वायरस के हिस्से ‘स्पाइक प्रोटीन’ को तैयार किया है। इसी प्रोटीन की मदद से कोरोना वायरस इंसान के रोग प्रतिरोधक क्षमता को उत्तेजित करने के लिए कोशिकाओं में घुसपैठ करता है।
कंपनी ने कहा कि उसने मौसमी फ्लू को ठीक करने के लिए इसी तरह के तकनीक का इस्तेमाल करके वेक्सीन तैयार किया है जो काफी कारगर है। अमेरिका ने नोवावैक्स को ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी से भी ज्यादा पैसा दिया है। ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी को 1.2 अरब डॉलर दिया गया था। ऑपरेशन रैप स्पीड के तहत अमेरिका को उम्मीद है कि वैक्सीन की करोड़ों खुराक वर्ष 2021 तक मुहैया कराई जा सकेगी। बता दें कि कोरोना वायरस से अब तक 5,46,765 लोगों की मौत हो गई है।