कैसे गांधी परिवार पर पड़ रही विरासत की वक्रदृष्टि

नई दिल्ली
करीब 70 वर्षों तक देश की सत्ता पर आसीन रहा नेहरू-गांधी परिवार आज भ्रष्टाचार के अनेक आरोपों से घिरा हुआ है। इस परिवार की देखरेख में चल रही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दूसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार के इतने नए और बड़े मामले सामने आए कि 2014 में जनता ने इस गठबंधन से किनारा कर लिया और अब तो लगता है कि जनता में खासकर गांधी परिवार के प्रति विशेष नाराजगी है। शायद यही वजह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार राहुल गांधी विरासत में मिली यूपी की अमेठी सीट से चुनाव हार गए।

दरअसल, ताजा घटनाक्रमों को देखेंगे तो लगेगा कि गांधी परिवार पर विरासत की ही वक्रदृष्टि पड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाहर लाल नेहरू की नीतियों पर बार-बार प्रहार किया तो राजीव गांधी के ‘एक रुपये भेजता हूं तो 10 पैसे ही मिलते हैं’ वाले बयान को यह कहकर भुनाया कि दरअसल कांग्रेस पार्टी, खासकर गांधी परिवार की अगुवाई में भ्रष्टाचार की गंगोत्री है। बहरहाल, गांधी परिवार पर विरासत की कैसी वक्रदृष्टि पड़ी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि असोसिएटेड जर्नल लि. (एजेएल) से शुरू हुई कहानी अब गांधी परिवार से जुड़े तीन और संस्थानों- इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्‍ट, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्‍ट, – तक पहुंच चुकी है।

गृह मंत्रालय ने गांधी परिवार से जुड़े इन तीन ट्रस्‍टों की जांच के लिए एक समिति बनाई है। इन पर वित्‍तीय लेनदेन में गड़बड़ी के आरोप हैं। तीनों ट्रस्‍ट पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्‍ट (PMLA), फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) और इनकम टैक्‍स ऐक्‍ट के प्रावधानों का उल्‍लंघन का आरोप है। अब एक इंटर-मिनिस्‍टीरियल कमिटी इन तीनों ट्रस्‍ट के वित्‍तीय लेनदेन की जांच करेगी।

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आइए पहले याद करते हैं एजेएल का मामला
जवाहरलाल नेहरू ने 1938 में नैशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना की थी। अखबार का मालिकाना हक यानी एजेएल के पास था। आजादी के बाद 1956 में असोसिएटेड जर्नल को अव्यवसायिक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया। वर्ष 2008 में एजेएल के सभी प्रकाशनों को निलंबित कर दिया गया और कंपनी पर 90 करोड़ रुपए का कर्ज हो गया। कांग्रेस नेतृत्व ने ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की एक नई अव्यवसायिक कंपनी बनाई जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया। नई कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 76 फीसदी शेयर थे जबकि बाकी के 24 फीसदी शेयर अन्य निदेशकों के पास थे।

अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में मुंबई और पंचकूला स्थित एजेएल की करोड़ों की संपत्ति जब्त कर ली है। इस मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और गांधी परिवार के बिल्कुल करीबी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा भी फंसे हैं। आरोप है कि इन्होंने एजेएल को हरियाणा के पंचकूला में एक प्लॉट के आवंटन में कानूनों का उल्लंघन किया। यह मामला उस समय का है जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के चेयरमैन भी थे। इस मामले में हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए नैशनल हेराल्ड की सहायक कंपनी असोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) को 2005 में 1982 की दरों पर प्लॉट अलॉट करवाया था। इस मामले में सीबीआई ने भी पंचकुला की एक अदालत में दिसंबर 2018 में आरोपपत्र दायर किया था। सीबीआई ने भी इस मामले में कथित अनियमितता बरतने को लेकर वोरा और हुड्डा को आरोपी बनाया है।

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क्या है इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्‍ट
ट्रस्‍ट की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इसकी शुरुआत 2001 में ऑर्ट्स एंड साइंस कॉलेज की शुरुआत से हुई। बाद में ट्रस्‍ट के तहत डेंटल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, पैरामेडिकल कॉलेज, फार्मेसी कॉलेज भी खेले गए। वेबसाइट के अनुसार, की अध्‍यक्षता केएम पारीख करते हैं। इसके अलावा, डॉ केपी शियास महासचिव हैं, डॉ केपी सियाद सीईओ और केपी शिबु मैनेजिंग डायरेक्‍टर हैं। यह नई दिल्ली में 1 अकबर रोड पर तुलग रोड इलाके में हैं।

राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्‍ट क्यों
एक रजिस्‍टर्ड, नॉट-फॉर-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन के रूप में ट्रस्‍ट की स्‍थापना 2002 में हुई। इसका मकसद देश के गरीबों की मदद करना था, खासतौर से ग्रामीण इलाकों में। आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यह संस्‍था अभी उत्‍तर प्रदेश और हरियाणा के सबसे गरीब इलाकों में काम कर रही है। इसकी दो योजनाएं हैं- राजीव गांधी महिला विकास परियोजना (RGMVP) और इंदिरा गांधी आई हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (IGEHRC)। दावा है कि यूपी में महिला सशक्‍तीकरण के लिए RGMBP सबसे बड़ा मोबलाइजेशन प्रोग्राम चला रही है। वहीं IGEHRC 12 जिलों में आई केयर की सुविधा देती है।

राजीव गांधी फाउंडेशन का क्या है काम
राजीव गांधी फाउंडेशन की नींव 21 जून, 1991 को रखी गई। फाउंडेशन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 1991 से 2009 तक ट्रस्‍ट ने स्‍वास्‍थ्‍य, अशिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिला एवं बाल विकास, पंचायती राज जैसे कई क्षेत्रों में काम किया। 2010 में फाउंडेशन ने शिक्षा पर फोकस करने का फैसला किया। इस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सोनिया गांधी हैं। ट्रस्‍टीज में डॉ मनमोहन सिंह, पी चिदम्‍बरम, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे, राहुल गांधी, अशोक गांगुली, संजीव गोयनका और प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हैं।

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