जोधपुरघातक कोरोना वायरस से बचाव के तौर पर लगाए गए लॉकडाउन के कारण कई लोगों को परेशानियों का भी सामना करना पड़ा था। ऐसी ही दिक्कत राजस्थान के रहने वाले लीलाराम के साथ हुई। पाकिस्तान के मीरपुर खास में अपनी बीमार सास से मिलने 34 साल का लीलाराम परिवार के साथ जब घर से निकला था, तो उसे इस बात का कतई अंदाजा नहीं था कि उसे अपनी पत्नी के बिना ही देश लौटना पड़ेगा।
कोरोना वायरस को काबू करने के लिए भारत में लागू किए गए लॉकडाउन के कारण परिवार महीनों तक पाकिस्तान में ही फंसा रहा। भारत और पाकिस्तान में इस प्रकार फंसे लोगों को स्वदेश भेजने के लिए सहमति बनने के बाद प्राधिकारियों ने लीलाराम और उसके तीन बच्चों को वापस जाने की अनुमति दे दी, लेकिन उसकी पत्नी जनता (33) के पास भारतीय नागरिकता नहीं होने के कारण उसे भारत नहीं आने दिया गया।
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लीलाराम ने कहा कि इस्लामाबाद में भारतीय दूतावात ने उसकी पत्नी को लौटने की अनुमति नहीं दी और उसे अपनी पत्नी को पाकिस्तान छोड़कर बच्चों के साथ लौटना पड़ा।
साल 1986 में पाकिस्तान से भारत आए लीलाराम को बाद में भारतीय नागरिकता मिल गई थी, लेकिन उसकी पत्नी के पास भारत की नागरिकता नहीं है और वह दीर्घकालीन वीजा पर यहां रह रही थी।