कानपुर जिले के बिकरू गांव में 8 पुलिसवालों की निर्मम हत्या ने भले ही हर किसी को हैरान कर दिया है, लेकिन इस केस की तह तक पहुंचने पर जो जानकारियां मिल रही हैं, वे सीधे तौर पर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती हैं। सूत्रों का कहना है कि पुलिस की आपसी ‘रंजिश’ का नतीजा है। चौबेपुर थाने के तत्कालीन एसओ विनय तिवारी और बिल्हौर सर्कल के डीएसपी देवेंद्र मिश्रा के संबंध बहुत तल्ख थे। विनय किसी भी तरह देवेंद्र को सर्कल से हटवाना चाहते थे।
कौन है राहुल तिवारी
बिकरू कांड की जमीन करीब के मुन्ना निवादा गांव से शुरू होती है। कुख्यात विकास दूबे के खिलाफ हत्या के प्रयास की एफआईआर लिखवाने वाले राहुल का ससुराल मुन्ना निवादा गांव में है। राहुल की एक साली का मायका बिकरू गांव में है। राहुल की पत्नी का दो अन्य बहनों से पैतृक संपत्ति को लेकर आपसी मनमुटाव भी चल रहा है। राहुल पूरी संपत्ति बेचना चाहता था, लेकिन उसकी एक साली के कहने पर विकास ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। इससे राहुल और विकास के संबंध बिगड़ गए। होली पर विकास ने राहुल को पीटा था, लेकिन एफआईआर नहीं लिखी गई। के हस्तक्षेप के बाद चौबेपुर थाने में वारदात की रिपोर्ट लिखी गई थी।
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जुआखाने का एंगल
कहानी का दूसरा सिर कानपुर के भौंती क्षेत्र से जुड़ता है। कुछ समय पहले तक शहर का सबसे बड़ा जुआखाना यहां चलता था, लेकिन बाद में इसे चौबेपुर में शुरू कराया गया। पुलिस विभाग में जुए के इस अड्डे को लेकर तनातनी रहती थी। इसके अलावा चौबेपुर एसओ विनय तिवारी की गिनती कुख्यात विकास दूबे के बेहद करीबियों में होती थी। सीनियर अधिकारी देवेंद्र मिश्रा के हस्तक्षेप से एसओ विनय तिवारी खिसियाता था। विकास के सियासी रसूख का इस्तेमाल कर उसने देवेंद्र मिश्रा को हटवाने का प्रयास किया। विनय ने कथित तौर पर विकास के मन में सीओ के खिलाफ खूब जहर भरा। वारदात के दो दिन पहले एसओ समझौते के नाम पर राहुल को लेकर बिकरू गांव पहुंचे। यहां विकास ने राहुल को पीटा। इसका गवाह पूरा गांव है।
पहले सीओ को मारी गोली
विकास को गिरफ्तार करने और एसओ विनय तिवारी की लापरवाहियों को सामने लाने के लिए गुरुवार रात ऑपरेशन के लिए सीओ ने एक टीम तैयार की। इसके लिए जिले के सीनियर अधिकारियों से अनुमति ली गई। हालांकि जोश के बीच बड़ी रणनीतिक चूक हुई। सीओ पुलिस टीम का नेतृत्व करते हुए सबसे आगे थे। विकास ने अपनी बंदूक से सबसे पहले सीओ को निशाना बनाकर गोली मारी। रविवार सुबह विकास के गुर्गे दयाशंकर ने भी कबूला कि विकास ने फायरिंग की थी।
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एडीजी, कानपुर (जोन) राजनारायण सिंह ने बताया, ‘वारदात के पहले एसओ गांव पहुंचे थे, लेकिन किसी सीनियर अधिकारी को इसकी सूचना नहीं दी थी। छापे की सूचना भी लीक होने की बात आई है। इसकी जांच जारी है।’