पत्रकार सुइसाइड पर सवालों से बच रहा AIIMS

नई दिल्लीकोरोना वायरस से संक्रमित दिल्ली के पत्रकार की सुइसाइड (Journalist Suicide) मामले में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। एम्स प्रशासन की तरफ से पत्रकार तरुण सिसोदिया की मौत को लेकर बयान जारी किया गया है, लेकिन बयान के बाद भी सवाल बने हुए हैं, जिसके जवाब के लिए एम्स और एम्स ट्रॉमा सेंटर प्रशासन से लगातार प्रयास किया गया, लेकिन उनकी चुप्पी बनी हुई है।

एम्स सूत्र भी बताते हैं कि कहीं न कहीं लापरवाही हुई है, यही वजह है कि परिवार और रिश्तेदार इस मामले में जांच की मांग कर रहे हैं। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने एक कमिटी बनाई है और जांच रिपोर्ट 48 घंटे के भीतर देने को कहा गया है।

एम्स प्रशासन की तरफ से बयान जारी कर बताया गया है कि कोविड की वजह से तरुण को एम्स ट्रॉमा सेंटर में 24 जून को एडमिट किया गया था। वह फिलहाल टीसी-1 आईसीयू में था, जो पहली मंजिल पर है।

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एम्स ने अपने बयान में कहा है कि तरुण की रिकवरी बेहतर थी और रूम एयर में सांस ले पा रहे थे। इसलिए सोमवार को तरुण को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट करने की योजना थी। एम्स ने अपने बयान में उनके ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी का भी जिक्र किया है और यह भी बताने की कोशिश की है कि इसको लेकर न्यूरो और सायकायट्री के डॉक्टर को दिखाया गया था।

उनके फैमिली मेंबर को लगातार तरुण की सेहत को लेकर जानकारी दी जा रही थी लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह पूरी तरह से सच नहीं है, क्योंकि तरुण के परिवार के लोग उनके जर्नलिस्ट दोस्तों से फोन करके अपडेट लेते थे। एक दिन ऑक्सीजन पाइप को लेकर दिक्कत आई थी तो उनके दोस्तों ने इसकी सूचना एम्स प्रशासन को दी थी, तब जाकर उसे ठीक किया गया था।

सूत्रों का कहना है कि अगर अस्पताल की तरफ से जानकारी दी जा रही थी तो परिवार के लोग अस्पताल के बजाय दूसरे को फोन क्यों करते? एम्स ने अपने बयान में आगे लिखा है कि दोपहर 1: 55 बजे तरुण आईसीयू से निकल कर भागे, बताया गया है कि उनके पीछे हॉस्पिटल अटेंडेंट भी भागे। तरुण चौथी मंजिल पर पहुंच गया, वहां विंडो तोड़कर छलांग लगा दी, जिसके बाद उन्हें आनन फानन में आईसीयू में एडमिट किया गया, लेकिन तमाम प्रयास के बाद भी बचा नहीं पाए।

एम्स के सूत्र का कहना है कि प्रशासन की यह यह थ्योरी भी थोड़ी अटपटी लग रही है, क्योंकि एक मरीज, जो पिछले कई दिनों से कोविड संक्रमण की वजह से आईसीयू में एडमिट है, जिसे सांस लेने में दिक्कत है, वह पहली मंजिल से चौथी मंजिल तक भाग कर पहुंच गया और हॉस्पिटल अटेंडेंट उस तक पहुंच नहीं पाया।

एक बीमार मरीज ने विंडो तोड़ दिया और हॉस्पिटल अटेंडेंट फिर भी वहां नहीं पहुंच सका। कहीं न कहीं सिक्यॉरिटी स्तर पर कमी दिख रही है। एक आईसीयू से मरीज निकल जाता है और उसे रोक नहीं पाता है। ऐसे और भी सवाल हैं, जिनके जवाब एम्स को देने चाहिए। एनबीटी ने ऐसे कई सवाल और भी एम्स प्रशासन से पूछे, लेकिन जवाब नहीं मिला। वॉर्ड बदलने का भी एम्स प्रशासन पर आरोप है, लेकिन एम्स की चुप्पी गंभीर सवाल खड़ा दिया है।

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