तिब्बत के जरिए ड्रैगन को घेरेगा भारत?

नई दिल्ली
भारत और चीन के बीच लद्दाख में तीन महीने से चल रहे तनाव में जरा भी कमी नहीं आई है। अधिकारियों के अनुसार, कई दौर की बातचीत के बावजूद जमीनी स्थिति में कुछ बदलाव नहीं आया है। सेना ने भी ड्रैगन के साथ लंबे तनाव की पूरी तैयारी कर ली है। इस बीच, निर्वासित तिब्बती सरकार के राष्ट्रपति लोबसेंग सांगे के अनुसार, भारत चीन के सामने तिब्बत का मुद्दा उठाकर पेइचिंग को दुनिया में घेर सकता है।

चीन के धोखे के बाद भारत सतर्क
सूत्रों ने बताया कि भारत ने लद्दाख में सर्दियों तक के लिए बड़ी तैयारी कर रखी है। यहां जवान पूरी तरह से सतर्क हैं और वायु सेना ने सीमाई इलाके में निगरानी बढ़ा दी है। चीन के धोखे के बाद भारत अब कोई कसर बाकी नहीं रख रहा है। भारत 24 घंटे ड्रोन से सीमा की निगरानी कर रहा है। चीन ने कुछ दिन पहले में गोगरा पोस्ट के नजदीक सैनिकों को हटाने का वादा किया था। ऐसे में भारत चीन पर कड़ी नजर रखे हुए है। कुछ दिन में भारतीय जवान उस जगह की जांच के लिए भी जाने वाले हैं।

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चीन को घेरने के लिए तिब्बत का उठेगा सवाल?
इस बीच, निर्वासित तिब्बती सरकार सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन (CTA) के राष्ट्रपति लोबसेंग सांगे ने इकनॉमिक टाइम्स से बातचीत कहा है कि भारत को चीन के साथ मौजूदा तनाव में तिब्बत को भी मुद्दा के तौर पर शामिल करना चाहिए। सांगे ने कहा कि भारतीय जवानों की शहादत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। उन्होंने कहा कि भारत की सीमा चीन से नहीं बल्कि तिब्बत से लगती है।


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भारत ने चीन को घेरने के लिए अब कूटनीतिक हथियार भी उठा लिया और अबतक हॉन्ग कॉन्ग में चीन के नए सुरक्षा कानून पर चुप्पी साधने वाले भारत ने इशारों में इस कानून पर सवाल उठाए हैं और दो टूक सुना दिया है। गत बुधवार को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में भारत ने कहा कि हॉन्ग कॉन्ग को स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन बनाना चीन का घरेलू मामला है लेकिन भारत हाल की घटनाओं पर करीबी नजर रखे हुए है। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजीव चंदर ने कहा, ‘हम हाल की इन घटनाओं पर चिंता जताने वाले कई बयान सुन चुके हैं। हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष इन बातों का ध्यान रखेंगे और इसका उचित, गंभीर और निष्पक्ष समाधान करेंगे।’ हालांकि भारत ने अपने बयान में चीन का नाम नहीं लिया।

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‘तिब्बत मुद्दे को भारत करे शामिल’
सांगे ने कहा कि हम दशकों से कहते आ रहे हैं कि तिब्बत की घटना एक सबक है। चीन की यह कोई पहली सैन्य हिमाकत नहीं है और दुर्भाग्य से आखिरी भी नहीं। सांगे ने कहा कि भारत में बड़ी संख्या में निर्वासित तिब्बती आबादी है। दलाई लामा खुद को भारत का बेटा बताते हैं। तिब्बत के रणनीतिक महत्व को देखते हुए भारत को अपनी नीति में इसे अहम मुद्दे के तौर पर शामिल करना चाहिए। 2017 में हमने जो डोकलाम में देखा और अभी जो लद्दाख में देख रहे हैं वह चीनी रणनीति का हिस्सा है और यह भारत के लिए चुनौती है।

‘चीन की कुटिल चाल, भारत पर दबाव बनाने का हिस्सा’
यह पूछने पर आखिर चीन हर बार गोलपोस्ट क्यों बदल रहा है, इसपर सांगे ने कहा कि यह ड्रैगन का भारत पर दबाव बनाने का हिस्सा है। वह हिमालय क्षेत्र में भारत पर दबाव बनाना चाहता है। दुनिया में फैले कोरोना महामारी के बावजूद चीन ने यह तनाव क्यों शुरू किया? इस सवाल के जवाब में सांगे ने कहा कि कोरोना महामारी से पहले भी दुनिया ने कई मोर्चों पर चीन की आक्रमकता देखी है।

तिब्बत मुद्दे पर चीन से बातचीत का क्या भविष्य होगा? इस सवाल पर सांगे ने कहा कि जहां तक हमारी पक्ष की बात है तो हम मध्य मार्ग नीति का पालन करते हैं। हम चीनी सरकार के साथ कभी भी बात करने के लिए तैयार हैं। 1970 से ही CTA बातचीत का माहौल बनाने की कोशिश कर रही है।

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