चीन नजरअंदाज, साथ आए ताइवान-सोमालीलैंड

ताइपे
सोमालीलैंड स्वतंत्र क्षेत्र के साथ ताइवान ने संबंध स्थापित कर कूटनीतिक जीत हासिल करने में सफलता पाई है। चीन के दबाव के कारण लोकतांत्रिक देश ताइवान के सिर्फ 15 देशों के साथ राजनयिक संबंध हैं जिससे यह संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं है और अधिकतर अंतरराष्ट्रीय संगठनों से यह बाहर है जहां पेइचिंग का प्रभाव है।

चीन ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है, जिस पर जरूरत पड़ने पर वह सैन्य ताकत से नियंत्रण करने की धमकी देता है। चुनावों और जनमत सर्वेक्षणों में ताइवान की जनता चीन के साथ राजनीतिक एकीकरण को जोरदार तरीके से खारिज कर चुकी है। सोमालिया में 1991 में गृह युद्ध के बाद सोमालीलैंड उससे अलग हो गया।

‘मित्रता, स्वतंत्रता, लोकतंत्र के आधार पर संबंध’
अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं होने के बावजूद इस क्षेत्र की अपनी सरकार, मुद्रा और सुरक्षा व्यवस्था है। ताइवान के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर एक जुलाई को पोस्ट किए गए बयान में मंत्री जोसेफ वु ने कहा कि दोनों सरकारों ने ‘मित्रता और स्वतंत्रता, लोकतंत्र, न्याय और कानून के शासन के साझा मूल्यों के आधार पर’ संबंध स्थापित करने पर सहमति जताई है।

सोमालीलैंड की आबादी 39 लाख
वु ने कहा, ‘परस्पर लाभ की भावना से ताइवान और सोमालीलैंड मत्स्य, कृषि, ऊर्जा, खनन, लोक स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में सहयोग करेंगे।’ वु और सोमालीलैंड के विदेश मंत्री यासिन हागी महमूद ने 26 फरवरी को ताइपे में द्विपक्षीय संबंधों पर हस्ताक्षर किए। ताइवान क्षेत्र के छात्रों को छात्रवृत्ति मुहैया करा रहा है। सोमालीलैंड की आबादी 39 लाख है।

ताइवान पर लगाया सोमाली के नुकसान का आरोप
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने सोमवार को कहा कि चीन का सोमालिया के साथ संबंध है और ताइवान पर आरोप लगाया कि वह ‘सोमाली की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को कमतर’ कर रहा है। झाओ ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘ताइवान और सोमालीलैंड के बीच आधिकारिक एजेंसी स्थापित करने या किसी तरह के आधिकारिक समझौते का चीन विरोध करता है।’

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