की अंतिम फिल्म ” की हिरोइन ने उन पलों को भी महसूस किया, जिनसे सुशांत गुजर रहे थे। एक दोस्त होने के नाते संजना ने सुशांत को सपॉर्ट भी किया।
आपको बता दें, ऐसी बहुत बातें थीं, जो सुशांत और संजना, दोनों में एक जैसी थी। सेट पर पहले ही दिन दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी। सुशांत वैसे तो अंतर्मुखी थे, लेकिन संजना से उनकी दोस्ती झट-पट हो गई थी। सुशांत की ही तरह संजना भी अपने कॉलेज की टॉपर रह चुकी हैं।
सुशांत ने फिजिक्स में टॉप किया था तो वहीं, संजना पॉलिटिकल साइंस की टॉपर रह चुकी हैं। सेट पर दोनों अपनी-अपनी पढ़ाई-लिखाई पर घंटो-घंटो बात करते थे। सुशांत की तरह ही संजना को भी किताबे पढ़ने का बड़ा शौक है। संजना कहती हैं, ‘सुशांत हमेशा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते थे।’
दोनों ने ही ‘द फॉल्ट इन आवर स्टार्स’ हॉलिवुड फिल्म और किताब पढ़ी हुई थी। इसी वजह से अपने-अपने कैरेक्टर को जीना, दोनों के लिए बहुत ही आसान और रोमांचक था।
संजना बताती हैं, ‘सुशांत कई बार सेट पर फिल्म दिल बेचारा की स्क्रिप्ट को पढ़ते थे। हम दोनों, पढ़ाकू, स्क्रिप्ट को शुरू से अंत तक एक-एक करके पढ़ते थे। हमारी स्क्रिप्ट ऐसी दिखती थी मानो फटी हुई नॉवेल हो, जो सालों पुरानी है, जो पोस्ट के निशान के साथ थे। मैं बहुत नर्वस रहती थी, लेकिन निर्देशक मुकेश छाबड़ा के कहने के बाद मैं सहज हो जाती थी।’
संजना आगे बताती हैं, ‘सुशांत, बिल्कुल मेरी तरह ही खाने के बड़े शौकीन थे। लंच के टाइम पर पूरा टेबल खाने से भर जाता था, लेकिन हम दोनों को खाना खाने के लिए जमीन में बैठकर खाना सबसे ज्यादा अच्छा लगता था। मुकेश भी हमें जॉइन करते और फर्श पर हमारे साथ बैठकर खाना खाते। सुशांत अक्सर खाते समय मेरा बड़ा मजाक उड़ाया करते थे कि मैं खाना ज्यादा खा सकती हूं।
एक बार खाने के ही दौरान मेरे पापा का फोन आया था, पापा ने बताया कि मेरी पढ़ाई का रिजल्ट आ गया है और मुझे पॉलिटिकल साइंस में गोल्ड मेडल हासिल हुआ है। यह खबर सुनते ही सुशांत और डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा काफी खुश हुए और मुझे ढेर सारी बधाई दी। शिक्षा और सिनेमा के लिए सुशांत की कही बातें अनमोल हैं, जिसे मैंने संभाल कर रख लिया है।’
सुशांत की जिंदादिली और खुश-मिजाजी को संजना ने बहुत ही करीबी से देखा है। सुशांत के इस तरह चले जाने से संजना अचंभित हैं। दिल बेचारा 24 जुलाई को ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज़ हो रही है।