श्रमिकों का दावा, 3 दिन नहीं हुआ कोयला उत्पादन

नई दिल्ली
कोल इंडिया के श्रमिक संगठनों की तीन दिन की हड़ताल के दौरान ज्यादातर खानों में उत्पादन शून्य रहा। इस दौरान कोयले की आपूर्ति भी नहीं हो पाई। के एक नेता ने शनिवार को यह दावा किया। हड़ताल का आह्वान कोयला क्षेत्र में निजी क्षेत्र को वाणिज्यिक खनन की अनुमति देने के विरोध में किया गया था। कोल इंडिया की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) सहित पांच श्रमिक यूनियनें वाणिज्यिक खनन की अनुमति देने के फैसले के विरोध में गुरुवार से हड़ताल पर हैं।

पांचों यूनियनों की शनिवार को वर्चुअल बैठक होनी है जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। हिंद मजदूर संघ से संबद्ध हिंद खदान मजदूर फेडरेशन के अध्यक्ष नाथूलाल पांडे ने कहा, ‘तीन दिन की हड़ताल पूरी तरह सफल रही। इस दौरान ज्यादातर खानों में उत्पादन बिल्कुल नहीं हो पाया। कोयले की आपूर्ति भी पूरी तरह रुकी रही।’ हालांकि, कोल इंडिया के एक अधिकारी ने कहा कि उत्पादन 4.81 लाख टन रहा, जो 13 लाख टन के सामान्य उत्पादन का 38 प्रतिशत है। इसकी गणना परिचालन बंद होने से दस दिन पहले के औसत के आधार पर की गई है।’

अधिकारी ने कहा कि इसी तरह पहले दिन 5.78 लाख टन कोयले का उठाव हुआ, जो सामान्य का 42 प्रतिशत है। इसकी गणना 14 दिन की आपूर्ति के औसत के आधार पर की गई है। कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने शुक्रवार को कहा था कि हड़ताल के दूसरे दिन शुक्रवार को 5.55 लाख टन रहा, जो सामान्य का 42.7 प्रतिशत है। दसूरे दिन कोल इंडिया ने 4.52 लाख टन कोयले की आपूर्ति की जो दस दिन के औसत उत्पादन का 32.17 प्रतिशत है। एक विश्लेषक ने कहा कि तीन दिन की हड़ताल के दौरान कोयला उत्पादन प्रभावित होने से बिजली उद्योग और बिजली उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ा क्योंकि बिजलीघरों के पास कोयले का पर्याप्त भंडार है। पांडे ने बताया कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों..एचएमएस, बीएमएस, एटक, इंटक और सीटू की शनिवार को बैठक हुई।

उन्होंने कहा कि बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया है कि कोयले के वाणिज्यिक खनन की अनुमति के खिलाफ गेट मीटिंग जैसे कार्यक्रम कल से ही शुरू कर दिए जाएं। इस दौरान बोली लगाने वाली कंपनियों से अपील की जाएगी कि वे बोली प्रक्रिया में शामिल नहीं हों। उन्होंने कहा कि यदि सरकार कोयले के वाणिज्यिक खनन के फैसले को रद्द नहीं करती है, तो 18 अगस्त को एक दिन की हड़ताल की जाएगी। इंटक समर्थित इंडियन नेशनल माइनवर्कर्स फेडेरेशन के महासचिव एस. क्यू. जामा ने कहा कि तीन दिन की हड़ताल से 75 से 80 प्रतिशत कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि कोल इंडिया प्रतिदिन 15 से 20 लाख टन उत्पादन करती है। उन्होंने कहा कि तीन दिन की हड़ताल 100 प्रतिशत शांतिपूर्ण रही, जो अपने-आप में एक बड़ी सफलता है।

उन्होंने कहा कि तीसरे दिन हड़ताल में 80 प्रतिशत श्रमिक शामिल हुए। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के महासचिव तपन सेन ने कहा कि पिछले दो दिन की तुलना में शनिवार को हड़ताल में अधिक श्रमिक शामिल हुए। सेन ने कहा कि सभी ट्रेड यूनियनें निजी कंपनियों द्वारा वाणिज्यिक खनन के खिलाफ हैं। हम आने वाले दिनों में भी इसका विरोध जारी रखेंगे। कोल इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक प्रमोद अग्रवाल ने बृहस्पतिवार को हड़ताल कर रहे श्रमिकों से काम पर लौटने की अपील की थी। कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी बृहस्पतिवार को श्रमिकों से अपनी हड़ताल समाप्त करने और काम पर लौटने की अपील की थी।

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