बिल्डिगों के अंदर घूमने वालों की गतिविधियों पर भी बंदिश लग गई। इसकी एक वजह बारिश तो है ही, दूसरा कारण लोगों में यह डर बैठा हुआ है कि कहीं बारिश की वजह से उन्हें बुखार या खांसी-जुखाम न हो जाए और इस कारण उन पर कोरोना होने का बेवजह शक न हो जाए। इसलिए मौसम विभाग के अलर्ट के बाद यहां काफी लोगों ने जरूरी सामान एक सप्ताह के लिए अपने घरों में लाकर रख दिया है, ताकि बारिश में घर से बाहर न निकलना पड़े।
एक बिजनेसमैन जगदीश वासुदेव घरत ने एनबीटी से कहा कि अनलॉक होने के बाद से पिछले तीन या चार सप्ताह में जैसी हलचल बाहर सड़कों पर शुरू हुई थी, शनिवार को बाहर सन्नाटा देखकर ऐसा लगा, जैसे मार्च और अप्रैल के लॉकडाउन के दौर में हम वापस पहुंच गए हैं।
होटल मालिक शानवास पुतिया पुराइल ने बताया कि शनिवार को उनके बहुत कम कर्मचारी काम पर आए। ग्राहक तो आने से रहे। वसई की एवरशाइन सिटी के एक केमिस्ट प्रकाश राठौर के अनुसार, शनिवार को भारी बारिश की वजह से उनकी दुकान पर रोज की तुलना में 50 प्रतिशत ग्राहक ही आए।
हालांकि, आम लोगों के लिए लोकल गाड़ियां अभी शुरू नहीं हुई हैं, पर वसई-विरार में ऑटो पिछले एक महीने में चलने शुरू हो गए हैं। लेकिन शनिवार को सड़कों पर बहुत कम ऑटो देखने को मिले।
वसई-विरार में कई इलाकों में बारिश का पानी शनिवार को थोड़ा-थोड़ा भरना शुरू हो गया था। घरों की खिड़कियों से बारिश के दृश्य को देखकर लोग खुश तो बहुत हैं। बस, उन्हें एक ही डर है कि यह बारिश बीमारी बढाने का काम न करे।