लेह से खरी-खोटी सुनाने के अगले दिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन को ‘बुद्ध नीति’ का पाठ पढ़ाया। शनिवार को धर्म चक्र दिवस/आषाढ़ पूर्णिमा के मौके पर वर्चुअल बौद्ध सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि ‘हम बुद्ध के विचारों से चुनौती से निपटेंगे।’ उन्होंने कहा कि ‘आज दुनिया के सामने असाधारण चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, इनका हल भगवान बुद्ध के आदर्शों से निकल सकता है। वे पहले भी प्रासंगिक थे। आज भी प्रासंगिक हैं और भविष्य में भी प्रासंगिक रहेंगे।’
‘युवा दूर करेंगे दुनिया की परेशानियां’पीएम मोदी ने कहा कि ‘मैं 21वीं सदी को लेकर बहुत आशावान हूं। ये आशा मुझे मेरे नौजवान दोस्तों से मिलती है। हमारा युवा। अगर आप इस बात का एक बढ़िया उदाहरण देखना चाहें कि कैसे आशा, सृजनशीलता और दया के जरिए दुख कैसे दूर किया जा सकता है, तो हमारे युवाओं के नेतृत्व में चल रहे हमारे स्टार्ट-अप सेक्टर को देख सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल प्रॉब्लम्स का हल ये नौजवान निकाल रहे हैं। भारत के पास दुनिया के सबसे बड़े स्टार्ट-अप ईको-सिस्टम्स में से एक है, मैं अपने नौजवान दोस्तों से अपील करूंगा कि वे भगवान बुद्ध के विचारों से जुड़े रहें।’
लेह से की थी दो टूक बातशुक्रवार को पीएम मोदी अचानक लेह पहुंच गए थे। यहां नीमू में सैनिकों के सामने उन्होंने चीन को खूब सुनाया। चीन की ‘विस्तारवादी’ नीति पर करारा वार करते हुए पीएम ने कहा कि ‘बीती शताब्दियों में विस्तारवाद ने मानवता का सबसे ज्यादा अहित किया है।’ उन्होंने इशारों में चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि ‘इतिहास गवाह है ऐसी ताकतें मिट गई हैं या मुड़ने के लिए मजबूर हो गई हैं।’ उन्होंने कहा कि ‘विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है, यह विकासवाद का युग है।’ चीन के खिलाफ ग्लोबल यूनिटी के संकेत देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘पूरे विश्व ने विस्तारवाद के खिलाफ मन बना लिया है।’