आंतरिक मतभेदों से जूझ रही नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति की वह बैठक टल गई है जिसमें प्रधानमंत्री के भविष्य पर फैसला होना था। आधिकारिक घोषणा के मुताबिक बैठक सोमवार तक के लिए स्थगित हुई है। सूत्रों के मुताबिक भारत के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे ओली अब अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए पाकिस्तान और चीन की मदद से सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ओली के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने बताया कि लंबित मुद्दों पर सहमति बनाने के लिए नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के शीर्ष नेताओं को और वक्त की जरूरत है, इसलिए बैठक सोमवार तक के लिए स्थगित की गई है। पार्टी की 45 सदस्यीय स्थायी समिति की अहम बैठक शनिवार को होने वाली थी। एनसीपी के शीर्ष नेताओं ने ओली के भारत विरोधी बयान के चलते उनका इस्तीफा मांगा है।
एनसीपी नेताओं का कहना है कि भारत विरोधी टिप्पणियां ‘न तो राजनीतिक रूप से सही हैं और न ही कूटनीतिक लिहाज से उचित हैं।’ उधर, ओली ने अपनी ही पार्टी को तोड़ने और विपक्षी पार्टी का साथ लेकर सरकार में बने रहने का प्लान तैयार किया है। इसमें चीन और पाकिस्तान उन्हें खुला सपॉर्ट दे रहे हैं। यह सब आसानी से हो पाए इसके लिए वह कुछ ऐक्ट्स में बदलाव करने वाले हैं।
केपी ओली के इस्तीफे की मांग उठ रही
नेपाल में कई दिनों से केपी ओली के इस्तीफे की मांग उठ रही है। बजट सत्र को स्थगित करने के बाद अब केपी ओली एक अध्यादेश लाकर पार्टी को तोड़ सकते हैं। सूत्रों से हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को जानकारी मिली है कि ओली वहां मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस के संपर्क में हैं, जिनसे उन्हें सपॉर्ट मिल सके। दरअसल, ओली अध्यादेश लाकर पॉलिटिकल पार्टीज ऐक्ट में बदलाव कर सकते हैं। इससे उन्हें पार्टी को बांटने में आसानी होगी। यह सब चीन और पाकिस्तान के समर्थन से हो रहा है।
नक्शे पर विवाद के बीच ओली भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। इसके बाद ही पाकिस्तान पीएम इमरान खान ने ओली से संपर्क साधा था। दूसरी तरफ नेपाल में मौजूद चीनी राजदूत भी इसकी कोशिशों में लगे हैं कि ओली को सत्ता में बनाए रखा जा सके। हाल में ओली द्वारा उठाए गए कुछ कदमों के पीछे चीनी राजदूत का रोल अहम बताया जाता है। अगर पार्टी टूटती है तो ओली को अपने समर्थन में 138 सांसद दिखाने होंगे। लेकिन अध्यादेश के बाद उन्हें सिर्फ 30 प्रतिशत सांसद का सपॉर्ट दिखाना होगा। ऐसे में ओली के लिए चीजें आसान होंगी क्योंकि 40 प्रतिशत सांसद उनकी तरफ हैं।