कमलनाथ की सरकार 4 निर्दलीय, 2 बीएसपी और 1 सपा विधायक के समर्थन से चल रही थी। उस दौरान भी सरकार को समर्थन दे रहे, 1 निर्दलीय और 1 बीएसपी विधायक को मंत्री बनने की उम्मीद थी। सत्ता बदलते ही दोनों ने मंत्री बनने की चाह में अपना पाला भी बदल लिया। राज्यसभा चुनाव की वोटिंग से पहले दोनों बीजेपी के भोज में शामिल हुए। लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान दोनों की पूछ तक नहीं हुई है। जी हां, हम बात कर रहे हैं, निर्दलीय विधायक और बीएसपी से निलंबित विधायक की, जिन्हें इस बार भी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है।
कैबिनेट विस्तार के दौरान शेरा भइया राज भवन में मौजूद थे, हालांकि रामबाई वहां नहीं थी। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए सुरेंद्र सिंह शेरा ने कहा कि मुझे विश्वास है कि आज नहीं तो कल मैं जरूरी मंत्री बनूंगा। अगर इस महीने नहीं, तो अगले महीने जरूर बनूंगा। उन्होंने इस बात को दोहराया और कहा कि मुझे पूरा यकीन है कि शिवराज कैबिनेट में मैं मंत्री बनूंगा।
शेरा ने कहा कि बीजेपी के नेता मुझे इनोवेटिव आइडियाज के लिए मंत्री बना सकते हैं, क्योंकि मैं एमपी के विकास के लिए रेवन्यू उत्पन्न कर सकूं।
गौरतलब है एमपी में सियासी उथल पुथल के बीच सुरेंद्र सिंह शेरा भी गायब हो गए थे। फिर 7 मार्च को वह सामने आए थे और कहा था कि मैं कमलनाथ के साथ हूं। शेरा ने यह कभी नहीं छुपाया कि वह मंत्री नहीं बनना चाहते हैं। उन्होंने तो यहां तक कहा था कि कमलनाथ उन्हें गृह मंत्री बनाएंगे।
रामबाई को भी उम्मीद
दमोह के पथरिया से बीएसपी विधायक रामबाई को अभी भी उम्मीद है कि वह मंत्री बनेंगी। हालांकि कैबिनेट में नहीं शामिल किए जाने से रामबाई दुखी हैं। उन्होंने कहा कि मुझे कैबिनेट मंत्री बनाने का वादा किया गया था। मुझे उम्मीद है कि वह जल्द ही कुछ महत्वपूर्ण पद देंगे।
वहीं, सपा के इकलौते विधायक राजेश शुक्ला ने इस बार राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को समर्थन दिया था। उन्होंने कहा कि मैंने बीजेपी और कांग्रेस से कभी भी मंत्री पद के लिए नहीं पूछा हूं। पार्टी ने बीजेपी के पक्ष में वोट करने के लिए राजेश शुक्ला को सस्पेंड कर दिया है। इसके साथ ही कमलनाथ की सरकार में मंत्री रहे निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल से कोई संपर्क नहीं है। उन्होंने भी कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद बीजेपी का समर्थन किया है।