MP में Tiger कौन? 'मामा' या 'महाराज', सिंधिया के बयान से उठे सवाल

भोपाल
कैबिनेट विस्तार के बाद एमपी की राजनीति में एक बार फिर से बहस छिड़ गई है कि टाइगर कौन है। राजभवन से बाहर निकले ने कांग्रेस पर जबरदस्त प्रहार किया है। उसके बाद उन्होंने कहा कि टाइगर अभी जिंदा है। ये वहीं डायलॉग है, जिसे सीएम ने 2018 में सत्ता जाने के बाद कहा था। शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि टाइगर अभी जिंदा है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने फिर से आज वहीं बात दोहराई है। लेकिन इस बार उन्होंने खुद के लिए कहा है कि टाइगर अभी जिंदा है। ऐसे सियासी गलियारे में यह सवाल तैरने लगे हैं कि क्या एमपी में बीजेपी का नया टाइगर अब ज्योतिरादित्य सिंधिया होंगे। इसकी झलक आज कैबिनेट विस्तार में देखने को मिली है। कैबिनेट सिंधिया कैंप का दबदबा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जितने भी नाम सुझाए थे, उन्हें कैबिनेट में जगह मिली है।

टाइगर जिंदा है
दरअसल, 2018 विधानसभा चुनाव के बाद शिवराज सिंह चौहान की सत्ता चली गई थी। सत्ता जाने के बाद बुधनी में शिवराज सिंह चौहान एक रैली को संबोधित कर रहे थे। संबोधन के दौरान उन्होंने कहा था कि कोई ये चिंता ना करना हमारा क्या होगा, मैं हूं ना अभी शिवराज सिंह चौहान, टाइगर अभी जिंदा है। उसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने अपनी कई सभाओं में इस लाइन को दोहराया था। एक तरीके से एमपी की राजनीति में ‘मामा’ ही इस डायलॉग को बोलते थे। अब सिंधिया ने इसका प्रयोग किया है।

टाइगर को लेकर संघर्ष
वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया के टाइगर वाले बयान पर कांग्रेस ने तंज कसा है। कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा है कि मंत्रिमंडल बाद अब टाइगर को लेकर संघर्ष है। शिवराज जी शुरू से ही कहते आए हैं कि ‘टाइगर अभी ज़िंदा है’ और अब श्रीअंत भी कह रहे है कि ‘टाइगर अभी ज़िंदा है’। बेचारे शिवराजजी से मंत्री भी छिन लिए और अब टाइगर छीनने की तैयारी। खुद के समर्थक मंत्रियों को कह रहे भ्रष्ट?

‘महाराज’ युग शुरू
गौरतलब है कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद बीजेपी में ‘महाराज’ युग शुरू हो गया है। शिवराज कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया की 41 फीसदी हिस्सेदारी है। तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत कैबिनेट में पहले से ही शामिल थे। आज बिसाहूलाल सिंह, एदल सिंह कंषाना, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसौदिया, ओपीएस भदौरिया, प्रद्युमन सिंह तोमर, हरदीप सिंह डंग, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, गिर्राज दण्डोतिया और सुरेश धाकड़ हैं।

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