एमपी में शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट के विस्तार में आज 28 नए मंत्रियों के शामिल किए जाने की संभावना है। इसके साथ ही शिवराज कैबिनेट में अब कुल 33 मंत्री हो जाएंगे, जिनमें से 15-18 पूर्व विधायक होंगे। यानी आधी से ज्यादा कैबिनेट पूर्व विधायकों से बनी है। मध्य प्रदेश में ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ। केवल एमपी ही नहीं, देश के इतिहास में यह संभवतः पहला मौका है जब इतनी बड़ी तादाद में पूर्व विधायकों को मंत्री बनाया गया है।
इसलिए
मंत्री बने पूर्व विधायकों में सबसे ज्यादा ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। सिंधिया ने मार्च में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था तो उनके साथ 22 पूर्व विधायक भी आए थे। दलबदल के चलते इन्हें अपने पदों से इस्तीफा देना पड़ा था और अब इनके चुनाव क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं। लेकिन बीजेपी आलाकमान ने कांग्रेस से बगावत के समय इन्हें एडजस्ट करने का आश्वासन दिया था। इसीलिए, इतनी बड़ी संख्या में पूर्व विधायक मंत्री बनाए गए हैं।
6 महीने में विधायक चुना जाना जरूरी
संविधान के अनुसार किसी गैर विधायक को मंत्री बनाए जाने पर उसे छह महीने के भीतर विधानमंडल का सदस्य चुना जाना जरूरी होता है। ऐसे में मंत्री बने इन विधायकों की तकदीर प्रदेश में होने वाले उपचुनावों पर टिकी है। यदि वे चुनाव जीतने में सफल होते हैं तो मंत्री बने रहेंगे अन्यथा इससे हाथ धोना पड़ सकता है।