के हंसराज कॉलेज के आखिरी साल के स्टूडेंट अनुपम और कई अन्य स्टूडेंट ने मिलकर डीयू द्वारा ऑनलाइन पेपर लिए जाने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता ने बताया कि इनकी ओर से हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल में दिल्ली यूनिवर्सिटी के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है जिसमें 10 अप्रैल से ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम लेने की बात है। छात्रों ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई गई है कि नोटिफिकेशन को वापस लेने का निर्देश दिया जाए। याचिका में कहा गया है कि ऑनलाइन ओपन बुक पेपर में कदाचार का अंदेशा है उसे रोकने के लिए कोई उपाय नहीं हैं। हाई कोर्ट मामले में शुक्रवार को सुनवाई कर सकती है।
ऑनलाइन क्लास बड़ी संख्या में स्टूडेंट अटेंड नहीं कर पाए
याचिकाकर्ता आठ स्टूडेंट की ओर से मामले में डीयू, यूजीसी और मानव संशाधन विकास मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में कहा गया है कि डीयू ने 27 जून को नोटिफिकेशन जारी किया कि वह ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम लेगा। ये एग्जाम फाइनल इयर के ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट का होगा। याचिका में कहा गया है कि इस नोटिफिकेशन के कारण करीब ढ़ाई लाख स्टूडेंट प्रभावित होंगे। देश भर में कोरोना महामारी फैली हुई है। इसके बाद डीयू में लगातार ऑनलाइन क्लास चली लेकिन स्टूडेंट को लाभ नहीं मिल पाया क्योंकि कई तकनीकी तौर पर कमजोर थे और इंटरनेट की स्पीड का भी मुद्दा था इस कारण ऑनलाइन क्लास बड़ी संख्या में स्टूडेंट अटेंड नहीं कर पाए। डीयू में सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई। बल्कि सिलेबस आधा ही कवर हो पाया।
कई छात्र घर पर हैं तो, ऑनलाइन परीक्षा कैसे देंगे
जब कोरोना महामारी बढ़ी तो कई स्टूडेंट जो दिल्ली के बाहर के थे वह जल्दीबाजी में अपने पैतृक गांव चले गए। वो इतनी जल्दी में थे कि किताब आदि भी नहीं ले जा पाए। अब ऐसी स्थिति में वह ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम देने में सक्षम नहीं हैं। इसी दौरान डीयू ने नोटिफिकेशन जारी कर10 जुलाई से एग्जाम लेने की बात कही है। याचिका में कहा गया है कि ये ओपन बुक एग्जाम संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन करता है। देश भर में स्टूडेंट इस एग्जाम के लिए ऑनलाइन बैठेंगे लेकिन उन स्टूडेंट का आर्थिक बैकग्राउंड एक नहीं है। सभी स्टूडेंट को तमाम फैसिलिटी नहीं है। देश भर के तमाम स्टूडेंट को इंटरनेट की सुविधाएं नहीं हैं।
ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम में कंट्रोल नहीं होगा
याचिकाकर्ता ने कहा कि एग्जामिनेशन का मकसद होता है कि स्डूडेंट की बुद्धिमता का आंकलन करना। इसके लिए एक कंट्रोल मैनर में एग्जाम होता है। लेकिन ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम में कोई कंट्रोल नहीं होगाऔर इस बात का अंदेशा है कि अनफेयर प्रैक्टिस होगा यानी कदाचार हो सकता है। इस पर किसी तरह से कंट्रोल की कोई व्यवस्था नहीं है। अगर डीयू चाहता है कि ऑनलाइन एग्जाम हो तो उसके लिए टेस्ट सेंटर बनाया जाना चाहिए और वहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए एग्जाम लिया जाना चाहिए। डीयू का एक्ट फेयर और कानूनी तौर पर सही होना चाहिए। अदालत में दाखिल अर्जी में गुहार लगाई गई है कि डीयू को निर्देश दिया जाए कि वह ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम के लिए जारी नोटिफिकेशन को वापस ले।