कोरोना जांच की रिपोर्ट आने में देरी होने के कारण इलाज के पहले हो रही एवं रोजाना बढ़ रहे मौत के आंकड़ों ने भिवंडी शहर को हिलाकर रख दिया है। मुंबई से सटे इस शहर में एक अप्रैल से 15 जून तक ढाई महीने में 561 लोगों की मौत हो चुकी है। शहर में बढ़ती मौतों के कारण कब्रिस्तान में जगह कम पड़ने लगी हैं। श्मशान भूमि में दाह संस्कार किए जाने के कारण कोई खास समस्या नहीं है, लेकिन कब्रिस्तानों के ट्रस्टियों ने कब्रिस्तान फुल होने के बोर्ड लगा दिए हैं।
शहर के कब्रिस्तानों में कब्र खोदने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। कोरोना विस्फोट होने से पहले कब्र खोदने वाले मजदूरों को प्रतिदिन एक या दो कब्र खोदनी पड़ती थीं। लेकिन इन दिनों उन्हें 10 से ज्यादा कब्रें खोदनी पड़ रही हैं। प्रतिदिन कब्र खोदने के कारण कई मजदूर जहां बीमार भी पड़ रहे हैं, वहीं संक्रमण के डर से कई मजदूरों ने काम करना भी छोड़ दिया है।
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मनपा जन्म-मृत्यु विभाग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले साल एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक जहां 143 लोगों की मौत हुई थी। वहीं कोरोना संक्रमण के दौरान 2020 के अप्रैल महीने में 188 लोगों की मौत हुई है। इसी तरह एक मई से 31 मई तक 2019 में जहां 134 लोगों की मौत हुई थी, वहीं कोरोना के दौरान मई 2020 में 168 लोगों की मौत हुई है। शहर में हो रही कोरोना संक्रमित मौतों के कारण जून के 15 दिनों में ही यह आंकड़ा बढ़कर 205 हो गया है।
बता दें कि कोरोना संक्रमण के शुरुआत में एक सप्ताह तक भिवंडी में एक भी मरीज नहीं पाया गया था। उस समय मुंब्रा एवं मालेगांव में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा था। दूसरे सप्ताह में भिवंडी में 12 अप्रैल को कोरोना का सिर्फ एक मरीज पाया गया था, लेकिन लगभग 12 लाख की आबादी वाले शहर को कोरोना संक्रमण की जांच में हो रही देरी होने के कारण मरीजों की संख्या बढ़ती गई।
जांच के बाद पॉजिटिव पाए गए कई मरीज एक-एक सप्ताह बाद रिपोर्ट आने के कारण शहर में घूमते रहे, जिसके कारण मरीजों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ी। कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत का आंकड़ा बढ़ने के कारण शहर में भय का वातावरण व्याप्त है।