कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और हिंदुत्व विचारक वीर दामोदर सावरकर के नाम पर फ्लाइओवर के नामकरण संबंधी प्रस्ताव पास हो गया है। बृहत बेंगलुरु महानगर पालिके (बीबीएमपी) ने विपक्षी दल कांग्रेस और जेडीएस के कड़े विरोध के बीच प्रस्ताव को पास कर दिया।
बेंगलुरु के येलाहांका में एक फ्लाइओवर का नाम के नाम पर रखे जाने का ऐलान सरकार पहले ही कर चुकी थी। 34 करोड़ की लागत से तैयार 400 मीटर लंबे पुले का उद्घाटन 28 मई को सीएम बी. एस. येदियुरप्पा को करना था, लेकिन अंतिम समय पर कोरोना संक्रमण का हवाला देकर कार्यक्रम कैंसल कर दिया गया था। मंगलवार को काउन्सिल की बैठक में इस प्रस्ताव को पारित कर दिया गया।
कांग्रेस और जनता दल(एस) ने शहर में एक फ्लाइओवर का नामकरण वीर सावरकर के नाम पर करने के कदम का विरोध करते हुए इसे राज्य के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बताया है। विपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने फ्लाइओवर का नामकरण सावरकर के नाम पर करने के कदम को कर्नाटक की धरती के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बताया। उन्होंने येदिुयरप्पा से आग्रह किया कि वह इसे रोक दें और फ्लाइओवर का नामकरण राज्य के किसी स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर करें। इसी तरह एक पूर्व मुख्यमंत्री और जेडी (एस) नेता एच. डी. कुमारस्वामी ने कहा कि यह निर्णय उन लोगों का अपमान है, जिन्होंने राज्य की समृद्धि के लिए संघर्ष किया और ऐसा करना सरकार का अधिकार नहीं है।
सूत्रों के अनुसार येलाहांका में फ्लाइओवर का नामकरण वीर सावरकर के नाम पर करने का निर्णय 29 फरवरी को वृहद बेंगलुरु महानगर पालिका (शहर निकाय) परिषद की बैठक में किया गया था। येलाहांका के विधायक एवं मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव एस आर विश्वनाथ ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि उस स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर फ्लाइओवर का नामकरण करने में कुछ भी गलत नहीं है, जिसे जेल की सजा हुई थी और जिसने देश की खातिर कालापानी (पूर्ववर्ती अंडमान जेल) में सजा काटी।
उन्होंने कहा कि बीबीएमपी परिषद ने नियमों के अनुसार कानूनी रूप से इसे मंजूरी दे दी है और सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और उसके बाद ही नामकरण की योजना बनाई गई है। विश्वनाथ ने फ्लाइओवर का नामकरण पर सावरकर के नाम पर करने पर विवाद उत्पन्न करने के प्रयास को स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करार दिया। कांग्रेस ने साथ ही कर्नाटक और बेंगलुरु के प्रति सावरकर के योगदान को लेकर सवाल उठाया।कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इससे पहले सावरकर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने के सुझाव का भी जोरदार विरोध किया था।