स्टारकिड्स के साथ भी खेमेबाजी
अध्ययन सुमन बताते हैं कि अपने देश में कोई असल कारण नहीं समझता बस भीड़ को फॉलो करते हैं। नेपोटिजम हर जगह होता है, मुझे समझ नहीं आता कि इंडियन फिल्म इंडस्ट्री को ही दोष क्यों दिया जा रहा है। हम लोग चर्चा किस पर कर रहे हैं जबकि मुद्दा है माफियागीरी, ग्रुपों का बनना जहां हम लोगों को नहीं आने दिया जाता। सिर्फ आउटसाइडर्स ही नहीं स्टारकिड्स के साथ भी है।
मैं नेपोटिजम का सबसे बड़ा उदाहरण
मैं नेपोटिजम का सबसे बड़ा उदाहरण हूं जिसने इंडस्ट्री में कुछ बड़ा नहीं कर पाया। पता नहीं लोग क्यों पूछते हैं कि मेरे लिए ये आसान रहा होगा क्योंकि मैं स्टारकिड हूं। हमारे पैरंट्स जानते हैं कि यह इंडस्ट्री कितनी कठोर है, खासकर यह ग्लैमर से जुड़ी है।
9 साल तक किसी ने नहीं की बात
कहीं न कहीं दर्शकों को भी दोष देना चाहिए क्योंकि एक ऐक्टर दर्शक के बिना कुछ नहीं है। सच तो ये है कि दर्शकों ने इन लोगों तहेदिल से लिया है जिसकी वजह से ये बड़े और माफिया बन गए। मैं भी इसका शिकार बन चुका हूं। मैं उस इंसान का नाम नहीं लूंगा लेकिन मुझे अपना पर्सनल नंबर देने के बाद भी उस व्यक्ति ने मेरा फोन कभी नहीं उठाया। इसलिए सिर्फ आउटसाइडर्स के साथ ही ऐसा नहीं होता। मेरे पिता ने जीवन में बहुत कुछ अचीव किया लेकिन मेरा फोन 9 साल तक नहीं उठाया गया।
आउटसाइडर्स पर नहीं होता प्रेशर
लोग कहते हैं कि आउटसाइडर्स को उनका क्रेडिट नहीं मिलता, गलत है। सुशांत आउटसाइडर थे लेकिन बड़े स्टार थे। उन्होंने कुछ बहुत बड़ी फिल्में कीं। राजकुमार राव, कृति सैनन ने बड़ी फिल्में कीं। शाहरुख खान बड़े स्टार हैं। आउटसाइडर्स पर प्रेशर नहीं होता लेकिन स्टारकिड्स पर होता है। नेपोटिजम है लेकिन आप रणबीर कपूर का टैलंट किनारे नहीं कर सकते। आयुष्मान ने भी स्ट्रगल किया लेकिन उन्होंने नए डायरेक्टर्स के साथ 9 हिट फिल्में दीं। इससे साबित होता है कि आउटसाइडर्स को मौके मिल रहे हैं।
मैंने यहां ड्रग्स और पागलपन देखा है
मुझे इस एक-दो बार इस माफिया सर्कल में इन्वाइट किया गया है और मैंने यहां ड्रग्स और पागलपन देखा तो दूर रहने का फैसला ले लिया। मेरी दूसरी फिल्म न चलने के बाद मुझे किसी ने नहीं बुलाया। यही मेरी कहानी है। इंडस्ट्री तब तक आपका परिवार है जब तक आप चल रहे हैं, जिस दिन फ्लॉप हो जाते हैं वो आपको किनारे कर देंगे। क्योंकि सब पैसे और लालच का खेल है। मेरी पहली फिल्म तक मुझे ‘बेटा’ कहकर बुलाया जाता रहा और दो फिल्में फ्लॉप होते ही किसी ने मेरा फोन नहीं उठाया। मैं आज भी वही लड़का हूं। अध्ययन ने यह भी बताया कि वह 2011 से 2015 तक उनके पास काम नहीं था और उनके पिता ने उन्हें डिप्रेस्ड देखा है। उनका डिप्रेशन इतना सीरियस नहीं था लेकिन बॉर्डरलाइन था। अध्ययन ने बताया कि उन्हें आत्महत्या के खयाल आते थे।
मूवी माफिया ने मेरी फिल्म ‘हार्टलेस’ की रिलीज शिफ्ट की
मेरी 14 फिल्में बंद हो गईं, जो कि काफी बड़ी थीं लेकिन क्या मैं अब रोना शुरू करूं जब ये डिबेट शुरू हुई है? कोई मेरा भरोसा नहीं करेगा। कहेंगे कि फ्लॉप हो गया तो बकवास कर रहा है। मेरे पिता ने ‘हार्टलेस’ बनाने के लिए अपना काफी सारा पैसा खर्च कर दिया था। लेकिन मूवी माफिया की वजह से फिल्म रिलीज नहीं हो पाई। हमने इस पर 15 करोड़ रुपये लगा दिए थे। हमें स्क्रीन नहीं मिले जिस वजह से फिल्म ऑडिएंस तक नहीं पहुंची। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बड़ी फिल्में रिलीज हो रही थीं। माफिया की वजह से मुझसे जबरदस्ती फिल्म की रिलीज बढ़वाई गई। कोई फेयर सिस्टम है ही नहीं क्योंकि वो स्टार्स हैं।