चीन से फैला कोरोना? जानेगी WHO की टीम

जिनेवा
दुनियाभर में 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बनाने वाले की उत्पत्ति संबंधी जांच के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन जल्द ही अपनी एक टीम भेजेगा। हालांकि, अभी यह पता नहीं चल सका है कि इस टीम में कौन-कौन शामिल होगा और इस जांच का मकसद क्या होगा। चीन शुरू से ही करोना के उत्पत्ति संबंधी जांच से इनकार करता रहा है।

दबाव में आकर चीन ने दीं जांच टीम को अनुमति
कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर दुनिया में बुरी तरह घिरे चीन ने दबाव में आकर भले ही जांच टीम को आने की अनुमति दे दी है। लेकिन, यह देखना बाकी होगा कि क्या चीन में इस जांच टीम को जिनपिंग प्रशासन का पूरा सहयोग मिलता है कि नहीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन शुरू से ही कहता रहा है कि चीन उसकी जांच टीम को बुलाए जिससे यह पता चल सकेगा कि इस वायरस का एनिमल सोर्स है या नहीं।

वायरस से मजबूती से लड़ सकेंगे
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस एडहनॉम गिब्रयेसॉस ने कहा कि जब हमें वायरस के बारे में ज्यादा पता होगा तो हम उससे बेहतर तरीके से लड़ सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इसमें यह भी शामिल है कि इस वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई। डब्लूएचओ चीफ ने कहा कि हम अगले सप्ताग एक जांच टीम को चीन भेज रहे हैं जो इस वायरस के उत्पत्ति संबंधी जांच करेगी।

WHO पर चीन समर्थक होने का आरोप
अमेरिका समेत विश्व के कई देश कोरोना वायरस महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन पर निशाना साधते आए हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो डब्लूएचओ को चीन का भोपू करार दिया था। इसी कारण अमेरिका ने इस संगठन से अपने सारे संबंध तोड़ लिए थे। डब्लूएचओ ने कोरोना वायरस को लेकर दुनिया को शुरू से ही कम जानकारी दी।

चीन के प्रयासों से टैड्रोस बने WHO चीफ
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टैड्रोस ऐडरेनॉम गैबरेयेसस ने 2017 में डब्लूएचओ की कमान संभाली थी। कहा जाता है कि उन्हें यह पद चीन के पैरवी करने के कारण मिला था। इसलिए वह चीन परस्त फैसले ले रहे हैं। बता दें कि टैड्रोस पहले अफ्रीकी हैं जो WHO के चीफ बने हैं।

ट्रंप का आरोप- कोरोना के कहर के लिए चीन-WHO दोषी
ट्रंप ने WHO और चीन को दुनियाभर में कोरोना से हुई मौतों का जिम्मेदार ठहराया। ट्रंप ने कहा, ‘सालाना सिर्फ 40 मिलियन डॉलर (4 करोड़ डॉलर) की मदद देने के बावजूद चीन का WHO पर पूरी तरह नियंत्रण है। दूसरी ओर अमेरिका इसके मुकाबले सालाना 45 करोड़ डॉलर की मदद दे रहा था। चूंकि वे जरूरी सुधार करने में नाकाम रहे हैं, इसलिए आज से हम WHO से अपना संबंध खत्म करने जा रहे हैं।’

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