चीन से तनाव, सैन्य ताकत बढ़ा रहा ताइवान

ताइपे
ने के किसी भी हिमाकत का जोरदार जवाब देने के लिए अपनी सैन्य क्षमता को और मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी है। इन दिनों ताइवान और अमेरिकी नेवी साउथ चाइना सी में युद्धाभ्यास कर रही हैं। जिसके जवाब में चीन ने ताइवानी एयरस्पेस का उल्लंघन करना शुरू कर दिया है। इधर चीन के किसी भी प्रकार के आक्रामक रवैये से निपटने के लिए ताइवान की नेवी और एयरफोर्स अलर्ट पर है।

ताइवानी सेना का बैकअप प्लान पेश
राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने ताइवान के सैन्य ताकत में इजाफा करने के लिए रिजर्व सैन्य बलों को और मजबूत करने के लिए कई नई घोषणाएं की हैं। जिसके तहत रिजर्व फोर्स को ताइवानी सेना के लिए मजबूत बैकअप के रूप में विकसित किया जाएगा। त्साई ने सशस्त्र सेना रिजर्व कमान में आयोजित एक पुरस्कार समारोह के दौरान इन सुधारों की घोषणा की।

सेना के समान रिजर्व फोर्स बनाने की तैयारी
जिसके तहत एक रिजर्व फोर्स को बनाया जाएगा जो नियमित सशस्त्र बलों की तरह ही ताकतवर होगी। उन्हें वे सभी हथियार और सैन्य साजो समान दिए जाएंगे जिसका इस्तेमाल ताइवानी सेना करती है। इसके अलावा विभिन्न बलों के बीच में रणनीतिक समझ और विभिन्न सरकारी विभागों और एजेंसियों के बीच घनिष्ठ सहयोग भी विकसित किया जाएगा।

चीन ने हाल के दिनों में तेज की कार्रवाई
ताइवानी राष्ट्रपति की यह घोषणा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन ने आज ही हॉन्ग कॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू किया है और ताइवान को भी एक देश दो तंत्र के तहत मिलाने की धमकी दी है। इसके अलावा चीन हमेशा से ताइवान को अपने देश में सैन्य ताकत से मिलाने की धमकी देता रहा है। हाल के दिनों में कई बार चीनी एयरक्राफ्ट से ताइवानी एयरस्पेस का उल्लंघन भी किया है।

क्यों है चीन और ताइवान में तनातनी
1949 में माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी ने चियांग काई शेक के नेतृत्व वाले कॉमिंगतांग सरकार का तख्तापलट कर दिया था। जिसके बाद चियांग काई शेक ने ताइवान द्वीप में जाकर अपनी सरकार का गठन किया। उस समय कम्यूनिस्ट पार्टी के पास मजबूत नौसेना नहीं थी। इसलिए उन्होंने समुद्र पार कर इस द्वीप पर अधिकार नहीं किया। तब से ताइवान खुद को रिपब्लिक ऑफ चाइना मानता है।

ताइवान को अपना हिस्सा मानता है चीन
चीन ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है। चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी इसके लिए सेना के इस्तेमाल पर भी जोर देती आई है। ताइवान के पास अपनी खुद की सेना भी है। जिसे अमेरिका का समर्थन भी प्राप्त है। हालांकि ताइवान में जबसे डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी सत्ता में आई है तबसे चीन के साथ संबंध खराब हुए हैं।

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