चीनी प्रॉडक्ट्स के बायकॉट की मांग सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। एक याचिका में अदालत से ई-कॉमर्स कंपनियों को निर्देश देने की गुहार लगाई गई है। याचिका कहती है कि ई-कॉमर्स कंपनियां हर प्रॉडक्ट के ‘कंट्री ऑफ ऑरिजिन’ यानी वो उत्पाद कहां बना, इसकी जानकारी दें। याचिकाकर्ता एडवोकेट दिव्य ज्योति सिंह के मुताबिक, इससे ग्राहकों को चीनी उत्पादों के बायकॉट में आसानी होगी। यह याचिका ऐसे वक्त में दायर की गई है जब भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव चरम पर है। 15 जून को हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद से ही चीन के आर्थिक बहिष्कार की मांग जोर पकड़ रही है।
‘भारतीयों की भावनाओं से खेल रहीं कंपनियां’याचिका में ऐसा कानून लाने की मांग की गई है जिससे ई-कॉमर्स कंपनियां ‘कंट्री ऑफ ऑरिजिन’ घोषित करने के लिए मजबूर हो जाएं। याचिका में कहा गया है, “देश में चीनी उत्पादों का बायकॉट करने की लहर चल रही है। वेब-पोर्टल्स पर ‘कंट्री ऑफ ऑरिजिन’ का खुलासा न कर ये बड़े कारोबारी घराने/ई-कॉमर्स पोर्टल्स न सिर्फ भारतीयों की देशभक्ति की भावना से खेल रहे हैं, बल्कि चीनी उत्पादों के बहिष्कार में भी रुकावट बन रहे हैं और लोकल मैनुफैक्चरर्स/ब्रैंड्स को प्रमोट करने का रास्ता भी रोक रहे हैं।”
‘चीन के बायकॉट को देशव्यापी अभियान’याचिका में कहा गया है कि आप नॉर्मली स्टोर से कुछ खरीदते समय उस पर ‘मेड इन कंट्री’ का लेबल देख सकते हैं लेकिन ई-कॉमर्स कंपनियां ऐसा नहीं करतीं। याचिकाकर्ता का कहना है, “आज जब पूरा देश मातृभूमि के प्रति अपना समर्पण जाहिर कर रहा है, उस बीच सभी चीनी उत्पादों/ऐप्स के बायकॉट का राष्ट्रव्यापी अभियान चल रहा है।” याचिका के जरिए किसी भी प्रॉडक्ट के ‘कंट्री ऑफ ऑरिजिन’ बताने को अनिवार्य किए जाने की मांग की गई है।
SC से कानून में बदलाव की डिमांडयाचिका के जरिए वकील ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट, 2019 की धारा 2(9) में संशोधन की मांग की है। इस धारा में कहा गया है कि ग्राहक को माल, उत्पाद या सेवाओं की क्वालिटी, क्वांटिटी, पोटेंसी, प्योरिटी, स्टैंडर्ड और कीमत के बारे में जानकारी का पूरा अधिकार है ताकि वह गलत सौदे से बच सके। याचिका में इस धारा में ‘कंट्री ऑफ ऑरिजिन’ को जोड़ने की भी मांग की गई है। याचिका के मुताबिक, ऑरिजिन कंट्री से प्रॉडक्ट की क्वालिटी का अंदाजा भी मिलता है।