वायरस संक्रमित मरीजों के इलाज को प्लाज्मा थेरेपी सुविधा केन्द्र का उद्घाटन होने जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा प्लाज्मा थेरेपी सेंटर होगा। कोविड-19 से संक्रमित मरीजों का इलाज यहां प्लाज्मा थेरेपी से किया जाएगा। राज्य में प्लाज्मा थेरेपी कोविड-19 के रोगियों को स्वस्थ करने में सफल रही है। ड्रायल के दौरान दावा किया गया है कि यहां दस में से नौ मरीज प्लाज्मा थेरेपी से ठीक हो रहे हैं।
मुंबई के लीलावती अस्पताल में पहली प्लाज्मा थेरेपी सफल रही थी। उसके बाद मुंबई में ही बीवाईएल नायर अस्पताल में एक अन्य रोगी पर दूसरा प्रयोग किया गया। उसके बाद लगातार यह प्रयोग सफल रहा। दावा है कि यहां प्लाज्मा थेरेपी 10 मरीजों में से 9 मरीजों पर कारगर हो रही है। सोमवार को शुरू होने वाले ट्रायल के दौरान 500 मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी की दो डोज दी जाएंगीं। बताया जा रहा है कि इस ट्रायल के लिए महाराष्ट्र सरकार ने 70 करोड़ रुपये का बजट जारी किया था।
प्लाज्मा डोनेट करने की सीएम ने की अपील
रविवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने फेसबुक पर लाइव वीडियो के जरिए इस सेंटर की शुरुआत करने की घोषणा की थी। उन्होंने लोगों से यह भी अपील की थी कि जो लोग कोरोना के संक्रमण से उभर चुके हैं, उन्हें अन्य लोगों के इलाज के लिए प्लाज्मा दान करने के लिए आगे आना चाहिए।
अब तक 7000 से ज्यादा लोगों की कोरोना से मौत
राज्य में रविवार को Covid-19 के एक दिन में रेकॉर्ड 5,493 नए मामले सामने आए। अब तक राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 1,64,626 हो गई है। इसके अलावा रविवार को कोरोना संक्रमण से 156 लोगों की मौत हुई है। इससे राज्य में महामारी से जान गंवाने वालों का आंकड़ा बढ़कर 7,429 हो गया है। राज्य में कोरोना से ठीक हुए लोगों की संख्या 86,575 हो गई है। राज्य में अब भी 70,607 मरीजों का इलाज चल रहा है।
प्लाज्मा होता क्या है?
प्लाज्मा खून में मौजूद पीले रंग का तरल होता है। रेड ब्लड सेल, वाइट ब्लड सेल और प्लेट्लेट्स को अलग करने के बाद प्लाज्मा बचता है।
कोरोना मरीजों में कैसे होती है प्लाज्मा थेरपी?
इसमें प्लाज्मा खून का तरल हिस्सा है। इसकी मदद से ही जरूरत पड़ने पर एंटीबॉडी बनती हैं। कोरोना अटैक के बाद शरीर वायरस से लड़ना शुरू करता है। यह लड़ाई एंटीबॉडी लड़ती है जो प्लाज्मा की मदद से ही बनती हैं। अगर शरीर पर्याप्त एंटी बॉडी बना लेता है तो कोरोना हार जाएगा। मरीज के ठीक होने के बाद भी एंटीबॉडी प्लाज्मा के साथ शरीर में रहती हैं, जिन्हें डोनेट किया जा सकता है।