भारतीय जूनियर पुरुष हॉकी टीम के डिफेंडर मनदीप मोर ने सोमवार को कहा कि वह पूर्व कप्तान से प्रेरणा लेते हैं। उन्होंने खेल के अहम गुर सिखाने का श्रेय अनुभवी ड्रैग फ्लिकर रूपिंदर पाल सिंह को दिया। पिछले साल सुल्तान आफ जोहोर कप में टीम की अगुआई करने वाले मनदीप चंडीगढ़ हॉकी अकैडमी का हिस्सा थे जिसके संदीप और रूपिंदर जैसे दिग्गज खिलाड़ी जुड़े रहे हैं।
मनदीप ने कहा, ‘चंडीगढ़ स्टेडियम में संदीप से मिलकर मैं रोमांचित हो जाता था। वह मेरे हीरो हैं, मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा और वह जिस तरह से ड्रैग फ्लिक पर गोल करते हैं वह मुझे पसंद है। वह जिम और ट्रेनिंग के लिए वहां आया करते थे। उनके यह शब्द ‘ड्रैग फ्लिक पर ध्यान लगाओ, कड़ी मेहनत करो और आपको गौरव मिलेगा’ मुझे अब भी प्रेरित करते हैं।’
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उन्होंने कहा, ‘गुरजिंदर और बॉब पाजी (रूपिंदर) मेरी काफी मदद करते हैं और उन्होंने मुझे बेसिक्स सिखाए और हमेशा अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करते हैं। मुझे बॉब पाजी के साथ ट्रेनिंग करने का मौका भी मिला जो उन दिनों मेरे लिए काफी बड़ी बात थी।’
मनदीप ने कहा कि उनके कोच ने पहचाना कि उनमें अच्छा ड्रैग फ्लिकर बनने की क्षमता है। उन्होंने कहा, ‘जब मैं चंडीगढ़ अकादमी से जुड़ा तो मेरे कोच अल्पिंदर सिंह ने मुझे कहा कि मेरे अंदर अच्छा ड्रैग फ्लिकर बनने की क्षमता है और उन्होंने मेरा कौशल निखारने में मदद की।’
अंडर-14 और अंडर-17 राष्ट्रीय चैंपिनशिप में अच्छे प्रदर्शन के बाद मनदीप को 2014 में सोनीपत के भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र में ट्रेनिंग के लिए चुना गया।इसके अगले साल मोर ने सुल्तान अजलन शाह कप में भारत की सीनियर राष्ट्रीय टीम की ओर से पदार्पण किया और वह 2018 पुरुष विश्व कप के संभावित कोर खिलाड़ियों में चुना गया।
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कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण मार्च से खेल से दूर मनदीप को कोचिंग शिविर शुरू होने का बेसब्री से इंतजार है। मनदीप ने साथ ही कहा कि उनका पहली पसंद हॉकी नहीं बल्कि मुक्केबाजी थी।
उन्होंने कहा, ‘मेरे रिश्ते का भाई प्रदीप मोर भारतीय टीम के लिए खेला है और मेरे कई और रिश्तेदार भी राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी खेले हैं, लेकिन मेरे परिवार वाले हैरान थे कि मैंने मुक्केबाजी को चुना।’ हरियाण के जींद जिले के नरवाना में जन्में मनदीप हॉकी से उस समय जुड़े जब उन्होंने अपने भाई को ट्रेनिंग करते हुए देखा। उन्होंने कहा, ‘जब मैंने प्रदीप को अभ्यास करते हुए देखा और अन्य बच्चों को हॉकी खेलते हुए देखा तो मैंने सोचा कि यह मजेदार खेल है और मैंने इससे जुड़ने का फैसला किया।’