पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट मे सोमवार को सिंध सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उसने अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या के आरोपी अहमद उमार शेख की सजा कम किए जाने के खिलाफ मांग की थी सुप्रीम कोर्ट ने 1 जून क सरकार से सिंध हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए सभी रेकॉर्ड पेश करने के लिए कहा था। सरकार के अलावा वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार पर्ल के माता-पिता ने भी कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
फांसी की सजा को 7 साल जेल में बदला
जस्टिस मुशीर आलम, जस्टिस मुनिब अख्तर और जस्टिस याह्या अफ्रीदी की बेंच ने सरकार की याचिका पर विचार किया। सिंध सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि उमर और उसके तीन साथियों को सिंध हाई कोर्ट द्वारा सजा में दी गई रियायत के फैसले को पलटा जाए। हाई कोर्ट ने उमर को हत्या की जगह अपहरण का दोषी मानते हुए फांसी की सजा को 7 साल की सजा और 20 लाख रुपये जुर्माने में तब्दील कर दिया था।
कानून-व्यवस्था को हो सकता है खतरा: सिंध
शेख के तीन साथियों फहाद नसीम, सईद सलमान साकिब और शेख मोहम्मद आदिल को हाई कोर्ट ने रिहा करने का फैसला सुनाया था। इसके बाद सिंध सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी कि इस फैसले को पलटा जाए क्योंकि इससे कानून-व्यवस्था को खतरा हो सकता है। वहीं, पर्ल के माता-पिता रूथ और जूडिया पर्ल ने अपनी याचिका में कहा कि हाई कोर्ट ने फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के फरेंसिक एक्सपर्ट के सबूतों को डिस्कार्ड कर दिया था। उनका दावा था कि फरेंसिक एक्सपर्ट के सबूतों से साफ हो रहा था कि जो लैपटॉप बरामद किया गया था उससे ही फिरौती के ईमेल भेजे गए थे।
18 साल से जेल में बंद, अब छूट सकता है उमर
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सिंध हाई कोर्ट के फैसले को पलटने की याचिका खारिज कर दी है। पर्ल ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख थे और वर्ष 2002 में पाकिस्तान में आतंकवादियों ने उनका अपहरण कर सिर कलम कर दिया था। साल 2014 उमर ने वेंटिलेटर से लटककर जान देने की कोशिश की थी। उमर पिछले 18 साल से जेल में बंद है और माना जा रहा था कि सजा कम होकर 7 साल रह जाने से वह जल्द ही छूट सकता है।