हर साल 28 जून को सड़कों पर LGBTQ (लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर, क्वेर) समुदाय के अधिकारों के समर्थन और उनकी पहचान का जश्न मनाने बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर Gay Pride Parade के लिए उतरते हैं। इस बार कोरोना वायरस की वजह से इस परंपरा में बदलाव तो देखा गया लेकिन इससे आंदोलन के 50वें साल के जोश में कमी नहीं दिखी। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए खाली जगहों पर झंडे फहराए गए और प्रदर्शन करने उतरे लोगों के चेहरे पर रंग के साथ मास्क भी लगा था। एक खास समर्थन देखने को मिला न्यूयॉर्क सिटी की इमारतों में जो LGBTQ के रेनबो फ्लैग के रंग की रोशनी में नहाई दिखीं। दरअसल, 28 जून, 1970 को पहली बार यहां LGBTQ के समर्थन में आवाजें उठी थीं।
28 जून, 1970 को न्यूयॉर्क सिटी के वेस्ट विलेज में स्टोनवॉल आंदोलन का एक साल हुआ था और तब विश्व स्तर पर LGBTQ आंदोलन की शुरुआत हुई थी। दरअसल, 1969 में एक गे क्लब पर पुलिस के छापे के बाद दंगे हो गए थे जिन्होंने आंदोलन की शक्ल ले ली थी। पहले इसे क्रिस्टोफर स्ट्रीट लिबरेशन डे मार्च कहा जाता था। उसके बाद से हर साल न्यूयॉर्क में कई इवेंट्स होने लगे जहां LGBTQ मुद्दों पर बात होती थी और प्रदर्शन होते थे। लोग गलियों में ‘गे प्राइड’ के नारे लगाते घूमते थे और यही परंपरा आज भी चली आ रही है।
इस साल न्यूयॉर्क सिटी के आयोजकों ने तय कर लिया था कि उसी जोश के साथ इस साल कोरोना वायरस से लड़ने वाले फ्रंटलाइन वर्तर्स के साथ LGBTQ का सम्मान टीवी पर किया जाएगा। इस साल के इवेंट में जनेल मोने, डेबरॉ कॉक्स और बिली पोर्टर जैसी हस्तियां शामिल होंगी। इस साल LGBTQ के साथ रंगभेद और पुलिस की बर्बरता के खिलाफ आंदोलन भी होगा। इसके लिए मैनहैटन से वॉशिंगटन पार्क तक मार्च का प्लान है।
पिछले साल आयोजकों ने प्राइड परेड की जगह प्रोटेस्ट मार्च किया था। उनका कहना है कि परेड कॉर्पोरेट होने लगी है। इस साल रॉकफेरल सेंटर पर 100 से ज्यादा रेनबो फ्लैग लगे हैं और प्लाजा रेनबो कलर्स से रोशन है। वेस्ट विलेज में स्टोनवॉल इन भी सबसे पहले मार्च के सम्मान में रेनबो कलर्स से नहाया है। हालांकि, कोरोना वायरस के चलते बाकी मार्च कैंसल कर दिए गए हैं।