चीन के मार्शल आर्ट का जवाब देंगे हमारे 'घातक'

नई दिल्ली
ईस्टर्न लद्दाख में (LAC) पर भारत-चीन सेना के तनाव (India-China tension) के बीच चीन तिब्बत में अपने सैनिकों को ट्रेंड करने के लिए मार्शल आर्ट ट्रेनर ( Martial arts trainer) भेज रहा है। 15 जून से पहले भी चीन ने मार्शल आर्ट लड़ाकों को तिब्बत भेजा था। चीन इसके जरिए भले ही माइंड गेम खेलने की कोशिश कर रहा हो लेकिन भारतीय सेना में ‘घातक’ कमांडो पहले से तैनात हैं। भारतीय सेना के घातक कमांडो बिना हथियारों की लड़ाई में माहिर हैं और दुश्मन को आमने सामने की लड़ाई में चित कर सकते हैं।

चीन ने भेजे 20 ट्रेनर
चीनी मीडिया में आ रही रिपोर्ट के मुताबिक चीन अपनी फोर्स को ट्रेंड करने के लिए 20 मार्शल आर्ट ट्रेनर तिब्बत भेज रहा है। 15 जून को हुई खूनी झड़प से पहले भी चीन ने तिब्बत के स्थानीय मार्शल आर्ट क्लब से भर्ती लड़ाकों को सेना की डिविजन में तैनात किया था। भारत और चीन के बीच 1996 में हुए समझौते के मुताबिक एलएसी से दो किलोमीटर के दायरे में न फायरिंग की जाएगी न ही किसी भी तरह के खतरनाक रसायनिक हथियार, बंदूक, विस्फोट की इजाजत होगी। इसलिए यहां हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। 15 जून को हुई खूनी झड़प के दौरान भी दोनों तरफ से किसी ने भी हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया।

भारत के पास हैं ‘घातक’
चीन भले ही मार्शल आर्ट लड़ाकों की बात कर रहा है लेकिन भारतीय सेना में घातक कमांडो पहले से मौजूद हैं। सेना की हर यूनिट में घातक कमांडो होते हैं, जो हथियारों के साथ लड़ाई के अलावा बिना हथियारों की लड़ाई में भी माहिर होते हैं। यह इस तरह ट्रेंड होते हैं कि अपने से मजबूत शरीर वाले दुश्मन को भी धूल चटा सकते हैं।

पढ़ें,

सेना के एक अधिकारी के मुताबिक इनकी 43 दिन की कमांडो स्कूल में ट्रेनिंग होती है। जिसमें करीब 35 किलो का भार लेकर बिना रूके 40 किलोमीटर तक दौड़ना भी शामिल है। यह ट्रेनिंग इन्हें शारीरिक तौर पर मजबूत करती है। इन्हें हर तरह के हथियारों की ट्रेनिंग के साथ ही गुत्थम गुत्था की लड़ाई के लिए भी ट्रेंड किया जाता है। यह मार्शल आर्ट में भी माहिर होते हैं। कमांडो स्कूल की ट्रेनिंग के बाद भी जब यह यूनिट में तैनात होते हैं तो वहां भी इनकी ट्रेनिंग होती है। हाई एल्टीट्यूट वाले इलाकों के लिए अलग तरह की ट्रेनिंग और रेगिस्तानी इलाकों के लिए अलग ट्रेनिंग होती है।


बैकअप टीम हमेशा तैयार

एक अधिकारी ने बताया कि वैसे तो एक यूनिट में घातक टीम में एक ऑफिसर, एक जेसीओ सहित करीब 22 जवान होते हैं लेकिन लगभग एक पूरी घातक टीम बैकअप में भी होती है। इस तरह एक यूनिट में हर वक्त 40-45 घातक कमांडो होते हैं। भारतीय सेना में हर इंफ्रेंट्री ऑफिसर को घातक कमांडो ट्रेनिंग करनी होती है और चुने हुए जवानों को यह ट्रेनिंग दी जाती है। हर यूनिट में हर साल 30-40 नए जवान आते हैं और फिर घातक कमांडो टीम में भी नए जवानों से कुछ को रखा जाता है। ये घातक कमांडो टीम में से जिन जवानों को रिप्लेस करते हैं, वह भी यूनिट में रहते हैं। इस तरह घातक कमांडो टीम के अलावा भी यूनिट में लगभग 50 पर्सेंट जवान ऐसे होते हैं जो इसमें माहिर होते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *