Corona lockdown में छूट के बाद रियल इस्टेट कारोबार में आया उछाल

भिलाई. कोरोना वायरस संक्रमण के कारण में लॉकडाउन में आर्थिक मंदी के बाद भी रियल इस्टेट कारोबार (real estate business) में उछाल आया है। लॉकडाउन में छूट के बाद पिछले 43 दिन में 1750 रजिस्ट्री हुई है। महीनेभर से हर दिन 45 से 60 रजिस्ट्री हो रही है जो यह सामान्य दिनों की तरह है।

लॉकडाउन में बंद रहा दफ्तर
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण देशभर में लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही 21 मार्च से सभी रजिस्ट्री कार्यालयों को भी बंद कर दिया गया था। इस बीच 4 मई तक लगभग 42 दिन तक रजिस्ट्री कार्यालय बंद रहा। इस दौरान एक भी रजिस्ट्री नहीं हुई। 4 मई को लॉकडाउन में छूट के बाद दफ्तर खोले गए।

65 तक पहुंचा रजिस्ट्री का आंकड़ा
रजिस्ट्री ऑफिस खुलने के बाद करीब पखवाड़ेभर तक 5 से 15 रजिस्ट्री की गई। पहले दिन केवल 5 रजिस्ट्री हुई। लेकिन ऑफिस खुलने के पिछले 43 दिन में एक दिन में रजिस्ट्री का ऑकड़ा 65 तक पहुंच गया। अफसरों की मानें तो 43 दिनों में करीब 1750 रजिस्ट्री की जा चुकी है।

सुरक्षित निवेश इसलिए आया उछाल
कोरोना संक्रमण में रियल इस्टेट कारोबार में उछाल को आर्थिक जानकार अच्छा संकेत मान रहे हैं। जानकारों की मानें तो संकट के दौर में लोग ज्यादा लाभ के बजाए कम जोखिम के साथ निवेश को पसंद कर रहे है। इसलिए जमीन व रियल इस्टेट को पसंद किया जा रहा है।

एक वजह यह भी

5 डिसमिल में छूट से बढ़ा रूझान
पांच डिसमिल की बंदिश हटाए जाने के बाद अधिकतर रजिस्ट्री छोटे प्लाटों के खरीदी-बिक्री की हो रही है। अधिकारियों की माने तो 5 डिसमिल से कम के प्लाटों की संख्या 65 से 70 फीसदी तक है। राजस्व बढ़ोतरी का आंकड़ा इन्हीं छोटे प्लाटों के कारण बढ़ा है।
30 फीसदी दर में कटौती से फायदा
सरकार ने पिछले अगस्त से कलक्टर गाइड लाइन की दर में भी 30 फीसदी की कटौती कर दी है। इससे इस बार भी यथावत रखा गया है। इसके बाद रजिस्ट्री की छोटे प्लाटों की रजिस्ट्री की संख्या में और इजाफा हुआ है। अभी अधिकतर छोटे प्लाटों की रजिस्ट्री हो रही है।
18.20 फीसदी ज्यादा बढ़ा राजस्व
जिले में पिछले वित्तीय वर्ष में 27 हजार 181 दस्तावेजों की रजिस्ट्री की गई। इससे सरकारी खजाने में 171 करोड़ 32 लाख रुपए जमा हुए। खासबात यह है कि पिछले वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में लॉकडाउन के कारण रजिस्ट्री नहीं हुए। जबकि सबसे ज्यादा रजिस्ट्री इन्हीं दिनों होती है। इसके विपरीत वर्ष 2018-19 में 21 हजार दस्तावेज का पंजीयन हुआ था। इससे सरकार को 144 करोड़ 94 लाख रुपए राजस्व मिले थे। इस तरह वर्ष 2018-19 की तुलना में लॉकडाउन के बाद भी पिछले वित्तीय वर्ष में 18.20 फीसदी ज्यादा राजस्व प्राप्ति हुई।

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