हमारे कब्‍जे में कोई भारतीय सैनिक नहीं: चीन

पेइचिंग
गलवान वैली हिंसा के बाद करीब 3 दिनों तक भारत के 10 सैनिकों को हिरासत में रखने के बाद चीन ने कहा है क‍ि उसके कब्‍जे में एक भी भारतीय सैनिक नहीं है। चीनी विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि गलवान वैली की गंभीर स्थिति के लिए भारत जिम्‍मेदार है। उन्‍होंने कहा कि तनावपूर्ण स्थिति को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता झाओ ल‍िजिन ने चीनी सामानों के बहिष्‍कार के सवाल पर कहा, ‘जहां तक गलवान घाटी की गंभीर स्थिति की बात है तो अच्‍छा या खराब बहुत स्‍पष्‍ट है और इसकी पूरी जिम्‍मेदारी भारतीय पक्ष की है। भारत और चीन स्थिति को सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे हैं। चीन भारत और चीन के संबंधों को बहुत महत्‍व देता है। आशा करता हूं कि दोनों ही देश लंबी अवधि के लिए द्विपक्षीय संबंधों की रक्षा के लिए काम कर सकते हैं।’

चीन ने सैनिकों की मौत पर दिया यह जवाब
इसके जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि मेरे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है जिसे यहां जारी करूं। दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर खास मुद्दों को हल करने की कोशिश कर रही हैं। जब से यह हुआ है तब से दोनों पक्ष बातचीत के जरिए विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।

सीमा पर फिर होगी हिंसक झड़प? मिला जवाब
इससे पहले गुरुवार को जब झाओ से यह पूछा गया कि क्या अब यह उम्मीद की जा सकती है कि सीमा पर ऐसी हिंसक झड़प नहीं होगी? तो इसके जवाब में झाओ लिजियान ने कहा था कि हम और टकराव नहीं चाहते हैं। दोनों देश विकासशील हैं और मतभेदों से ज्यादा दोनों के बराबर हित जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि भारतीय पक्ष हमलोग के साथ काम करेगा।

वहीं चीन की विदेश मंत्रालय की एक अन्‍य प्रवक्‍ता हुआ चुनयिंग ने गुरुवार को कहा था कि वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के सैनिकों ने आम सहमति को तोड़ा। उन्‍होंने कहा कि भारत वर्तमान स्थिति को गलत न समझे या हमारी क्षेत्रीय संप्रभुता को सुरक्षित रखने की दृढ़ इच्‍छाशक्ति को कम न आंके। हुआ चुनयिंग ने कहा, ‘भारत के अग्रिम पंक्ति के सैनिकों ने आम सहमति को तोड़ा और वास्‍तविक नियंत्रण रेखा को पार किया। जानबूझकर चीनी सैनिकों और अधिकारियों को उकसाया और उन पर हमला किया। इससे भीषण शारीरिक मुठभेड़ हुई और इसकी वजह से सैनिक मारे गए। भारत वर्तमान स्थिति को गलत न समझे या अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता को सुरक्षित रखने की दृढ़ इच्‍छाशक्ति को कम न आंके।’

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