पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने सचिन तेंडुलकर की कप्तानी ( As Captain) के कार्यकाल के बारे में अपना राय रखी है। उन्होंने कहा है कि ऐसा नहीं है कि सचिन अच्छे कप्तान नहीं थे।
सचिन ने 1996 से 2000 के बीच 73 वनडे और 25 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी की। भारत ने इसमें से 23 वनडे जीते और 43 में उसे हार का सामना करना पड़ा। वहीं टेस्ट मैचों में चार में जीत और 9 में उसे हार मिली।
मदन लाल ने स्पोर्टसकीड़ा के साथ फेसबुक लाइव में कहा, ‘मैं आपसे सहमत नहीं हूं कि सचिन अच्छे कप्तान नहीं थे। लेकिन वह अपने प्रदर्शन को लेकर इतने अधिक सजग थे कि उनके लिए टीम का ख्याल रख पाना मुश्किल हो गया था।’
मदन लाल ने कहा, ‘कप्तान के रूप में आपको सिर्फ अपने ही नहीं बल्कि टीम के प्रदर्शन का भी ख्याल रखना पड़ता है। आपको बाकी 10 खिलाड़ियों से भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाने की जरूरत होती है। आप उन्हें कैसे मैनेज करते हो यह काफी महत्वपूर्ण होता है।’
उन्होंने कहा, ‘सचिन के अंदर खेल को समझने की बहुत अच्छी खूबी थी। वह खिलाड़ियों को बताते थे कि कहां गलत हो रहा है और उन्हें कहां गेंदबाजी करनी चाहिए। वह इन सब चीजों में बहुत बढ़िया थे। लेकिन ऐसा कई बार होता है जब आप खेल को बहुत ज्यादा तवज्जो देते हैं तो आपके लिए कुछ मुश्किलें हो जाती हैं। ऐसा नहीं है कि वह अच्छे कप्तान नहीं थे।’
मदन लाल ने इस बात का भी जिक्र किया कि सौरभ गांगुली अपने शुरुआती दिनों में मिडल ऑर्डर में स्ट्रगल कर रहे थे और जब उन्होंने पारी की शुरुआत करना शुरू किया तो बाएं हाथ के इस बल्लेबाज के लिए चीजें सकारात्मक रूप से बदल गईं।
उन्होंने कहा, ‘हम दादा का सही इस्तेमाल करना चाहते थे। मुझे नहीं पता कि उन्हें याद है अथवा नहीं। मैंने दादा से कहा था, ‘दादा, आप अगर नंबर पांच पर बल्लेबाजी करते रहेंगे तो कुछ नहीं होगा। आपको सीधा ओपन करना चाहिए।”
उन्होंने कहा, ‘हर खिलाड़ी का अपना स्टाइल होता है। गांगुली के पास सभी स्ट्रोक्स थे। हर बल्लेबाज को सेट होने के लिए समय चाहिए होता है।’
उन्होंने कहा, ‘आज के दौर में भी विराट कोहली, अजिंक्य रहाणे को सेटल होने में थोड़ा समय लगता है। यही बात मैंने उन्हें कही थी। और वह इससे राजी हो गए थे। इसके बाद उन्होंने कभी मुड़कर नहीं देखा। सचिन और सौरभ की साझेदारी भारत के लिए बहुत अच्छी रही है। इन दोनों ने भारत के लिए कई मैच जीते हैं।’