प्रवासी मजदूरों को उनके पैतृक घर भेजने के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि उनका जो आदेश था उसके तहरत तमाम प्रवासी मजदूरों को आदेश के 15 दिनों के भीतर उनके पैतृक घर भेजना अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सभी मजदूरों को उनके घर15 दिनों में भेजने का निर्देश दिया था और साथ ही कहा था कि उनसे किराया न लिया जाए और खाने का इंतजाम किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच के सामने शुक्रवार को सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने कहा कि अदालत का पिछला आदेश सही भावना के साथ पालन नहीं हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि तमाम प्रवासी मजदूरों को आदेश के 15 दिनों के भीतर उनके पैतृक गांव भेजे जाने का निर्देश है। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि 15 दिन की अनिवार्यता नही है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि हमारा आदेश 9 जून का है और उसके तहत साफ है कि सभी प्रवासी मजदूर 15 दिनों के भीतर उनके पैतृक गांव पहुंचाये जाएं।
अदालत ने कहा कि आदेश प्रक्रिया शुरू करने के लिए नहीं बल्कि उन्हें 15 दिनों में घर वापस पहुंचाने के लिए है। साथ ही ये भी सुनिश्चित हो कि किसी से कोई पेमेंट न लिया जाए। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से कहा है कि वह तमाम राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहें कि आदेश पर अमल हो। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि अदालत के आदेश का प्रचार हो ताकि लोगों को इस बारे में पता चले।