बड़ा भूकंप नहीं तो किस बात का संकेत हैं ये झटके?वाडिया इंस्टीट्यूट का कहना है कि ‘कम तीव्रता के भूकंप अक्सर आते रहते हैं मगर बड़े भूकंप दुर्लभ से बहुत दुर्लभ होते हैं। बड़े भूकंपों से ही इमारतों और सम्पत्ति को नुकसान पहुंचता है।’ संस्थान के मुताबिक, कम तीव्रता के झटके लगना स्ट्रेन एनर्जी रिलीज होने का संकेत हो सकते हैं जो भारतीय प्लेट के उत्तर की तरफ मूवमेंट और उसके यूरेशियन प्लेट से टकराने पर जमा होती है। इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर कलाचंद साईं ने टीओआई से कहा, “हालांकि घबराने की जरूरत नहीं है। चूंकि किसी भी मैकेनिज्म से भूकंप का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता तो इन झटकों को किसी बड़े भूकंप से जोड़कर नहीं देखा जा सकता।”
दिल्ली में कब-कब आए बड़े भूकंप
दिल्ली का 30% एरिया ज्यादा संवदेनशीलदिल्ली-एनसीआर भूकंप के जोन 4 में आता है। 2014 में नैशनल सेंटर ऑफ सिस्मेलॉजी (NCS) ने दिल्ली-एनसीआर की माइक्रो जोन स्टडी की थी। इसके मुताबिक राजधानी का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा जोन-5 में है, जो भूकंप को लेकर सबसे अधिक संवेदनशील है। इन हिस्सों में ज्यादा तैयारियां की जानी चाहिए। पुरानी बिल्डिंगों को भूकंप के लिए तैयार करने की जरूरत है।
दिल्ली-एनसीआर में ये हैं कमजोर और फॉल्ट वाले इलाकेदिल्ली-हरिद्वार रिज
महेंद्रगढ़-देहरादून सबसरफेस फॉल्ट
मुरादाबाद फॉल्ट
सोहना फॉल्ट
ग्रेड बाउंड्री फॉल्ट
दिल्ली-सरगोधा रिज
यमुना रिवर लाइनामेंट
गंगा रिवर लाइनामेंट
जितनी ज्यादा तीव्रता, उतना खतरनाक भूकंप
पिछले दो महीने के भीतर दिल्ली में आए 14 भूकंप
दिल्ली-एनसीआर ने पिछले दो महीनों में 14 भूकंप सहे हैं। इनमें से 29 मई को रोहतक में आया 4.6 तीव्रता का भूकंप सबसे बड़ा था जिसे एनर्जी रिलीज होने के हिसाब से ‘हल्का’ माना जाता है।
तारीख | तीव्रता | केंद्र |
13 अप्रैल | 2.7 | दिल्ली |
16 अप्रैल | 2 | दिल्ली |
3 मई | 3 | दिल्ली |
6 मई | 2.3 | फरीदाबाद |
10 मई | 3.4 | दिल्ली |
15 मई | 2.2 | दिल्ली |
28 मई | 2.5 | फरीदाबाद |
29 मई | 4.5 और 2.9 | रोहतक |
1 जून | 1.8 और 3 | रोहतक |
3 जून | 3.2 | फरीदाबाद |
8 जून | 2.1 | गुरुग्राम |
19 जून | 2.3 | रोहतक |
बड़े भूकंप से ऐसे बच सकती है दिल्लीसाईं ने बताया कि बचाव के लिए लोकल अथॉरिटीज को यह देखना होगा कि उनके इलाके में बनने वाली इमारतें ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स के मानकों के मुताबिक हों। उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली-एनसीआर इसके (भूकंप) लिए तैयार होगा तो कोई बड़ा भूकंप आने पर जिंदगियां और सम्पत्ति, दोनों बचाई जा सकती हैं। दिल्ली भूकंप के लिहाज से सबसे ज्यादा संवदेनशील हिमालयन रीजन से सिर्फ 200 किलोमीटर दूर है।