70 करोड़ मर्दों का DNA क्यों ले रहा चीन?

पेइचिंग
मानवाधिकारों के उल्‍लंघन को लेकर पूरी दुनिया में कुख्‍यात चीन ने अपने 70 करोड़ों पुरुषों पर निगरानी के लिए एक नया अभियान शुरू किया है। इसके तहत पुलिस चीन में रह रहे पुरुषों और लड़कों के खून का नमूना ले रही है ताकि एक जेनेटिक मैप तैयार किया जा सके। इन नमूनों को इकट्ठा करने के बाद चीन हाइटेक सर्विलांस स्‍टेट की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ जाएगा।

ऑस्‍ट्रेलियन स्‍ट्रेटजिक पॉलिसी इंस्‍टीट्यूट के ताजा अध्‍ययन के मुताबिक चीन वर्ष 2107 से ही खून के नमूने इकट्ठा कर रहा है ताकि डीएनए का व‍िशाल डेटाबेस तैयार किया जा सके। इस डेटाबेस के जरिए अब चीनी प्रशासन अब किसी व्‍यक्ति के खून, लार या अन्‍य जेनेटिक चीजों का इस्‍तेमाल करके उसके किसी रिश्‍तेदार को ट्रैक कर सकेंगी।

इस पूरे निगरानी अभियान का अहम पहलू यह है कि एक अमेरिकी कंपनी थर्मो फिशर चीनी प्रशासन की मदद कर रही है। इसी अमेरिकी कंपनी ने चीन की पुलिस को टेस्टिंग किट बेचे हैं। कंपनी एक तरफ अमेरिकी सांसदों ने आलोचना की है, वहीं कंपनी ने अपने बिजनस का बचाव किया है। इस प्रॉजेक्‍ट की वजह से चीन का अब जेनेटिक डेटाबेस इस्‍तेमाल करके अपने नागरिकों को नियंत्रित करने का अभियान काफी तेज हो गया है।

अल्‍पसंख्‍यकों को निशाना बना रही चीनी पुलिस
चीनी पुलिस अ‍ब इस डेटाबेस के जरिए अल्‍पसंख्‍यकों और वांछित समूहों को निशाना बना रही है। इस‍के अलावा चीनी प्रशासन पूरे देश में अत्‍याधुनिक कैमरे, चेहरे को पहचानने वाली तकनीक और आर्टिफ‍िशल इंटेलीजेंस का इस्‍तेमाल कर रही है। उधर, पुलिस का कहना है कि उन्‍हें अपराधियों को पकड़ने के लिए इस डेटाबेस की जरूरत है और डीएनए लेते समय दानदाता से उसकी सहमति ली जाती है।

चीन में कई अधिकारियों और देश के बाहर स्थित मानवाधिकार समूहों ने चेतावनी दी है कि नैशनल डेटाबेस नागरिकों की न‍िजता के अधिकार का उल्‍लंघन है और कोई नाराज अधिकारी किसी व‍िद्रोही के परिवार वालों को परेशान कर सकता है। उन्‍होंने कहा कि चीन में लोग तानाशाही वाले शासन में जी रहे हैं, इसलिए उनके पास मना करने का भी अधिकार नहीं है। इस पूरे कार्यक्रम का चीन में भी विरोध तेज हो गया है।

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