'महाराज' और 'राजा' का राज्यसभा पहुंचना तय, तीसरी सीट के लिए कांग्रेस ने मानी हार

भोपाल।
मध्य प्रदेश में राज्यसभा की 3 सीटों के लिए शुक्रवार को होने वाले मतदान () से एक दिन पहले स्थिति काफी हद तक स्पष्ट हो गई। से ‘महाराज’ () और से राजा () का राज्यसभा के लिए चुनाव तय है। अब तक तीसरी सीट के लिए लड़ रही कांग्रेस ने लगता है अब हथियार डाल दिए हैं। गुरुवार देर शाम पार्टी ने राज्यसभा के लिए अपने दूसरे उम्मीदवार फूल सिंह बरैया को उपचुनावों में भांडेर विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसी के साथ बीजेपी के दूसरे नंबर के उम्मीदवार सुमेर सिंह सोलंकी की जीत भी लगभग पक्की हो गई है।

गुरुवार को मीटिंग्स का दौर
गुरुवार को भोपाल में पूरे दिन कांग्रेस और बीजेपी के विधायकों की मीटिंग का दौर चलता रहा। शाम को हुई मीटिंग से बाहर निकलने के बाद कांग्रेस विधायक के पी सिंह ने स्वीकार किया कि बरैया की जीत की संभावना नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी के पहले नंबर के प्रत्याशी दिग्विजय सिंह के लिए 52 के बजाय 54 वोट रिजर्व किए गए हैं। इससे किसी विधायक का वोट कैंसिल होने पर भी दिग्विजय के चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

भांडेर से उपचुनाव लड़ेंगे बरैया
जानकारी के मुताबिक फूल सिंह बरैया को न केवल उपचुनावों के लिए प्रत्याशी बनाया गया है, बल्कि कांग्रेस ग्वालियर-चंबल संभाग में उनका बड़े पैमाने पर उपयोग करने की रणनीति बना रही है। वे इस क्षेत्र के धाकड़ नेता हैं और चेहरों की कमी से जूझ रही कांग्रेस उन्हें भांडेर के बाहर भी चुनाव प्रचार में इस्तेमाल कर सकती है।

बीजेपी आश्वस्त
इधर, बीजेपी की ओर से पहले उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ दूसरे उम्मीदवार सुमेर सिंह की जीत भी पक्की दिख रही है। गुरुवार को पार्टी विधायक दल की बैठक के बाद बीजेपी के चुनाव प्रबंधक दोनों प्रत्याशियों की जीत को लेकर आश्वस्त नजर आए। पार्टी अपने दम पर भी दो सीटें जीत सकती है, यदि क्रॉस वोटिंग न हो। बुधवार शाम को एसपी, बीएसपी और निर्दलीय सहित 5 विधायकों ने बीजेपी उम्मीदवार के समर्थन का ऐलान कर क्रॉस वोटिंग की आशंका को भी खत्म कर दिया।

कांग्रेस के पास 40 अतिरिक्त वोट
230 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी के 107 और कांग्रेस के 92 विधायक हैं। राज्यसभा चुनाव में कैंडिडेट को जीत के लिए 52 वोटों की जरूरत है। यानी कांग्रेस के पहले प्रत्याशी की जीत के बाद भी उसके पास 40 अतिरिक्त वोट होंगे। पार्टी इसीलिए एसपी, बीएसपी और निर्दलीयों का समर्थन हासिल कर मुकाबले को रोचक बनाने की कोशिश कर रही थी। इसमें उसे बीजेपी के असंतुष्ट विधायकों से भी मदद की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका।

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